अच्छा है, जेमिनी बराबर गिर रहा है

चेन्नई की कंपनी जेमिनी कम्युनिकेशंस ने 13 मई को अपने सालाना नतीजे घोषित किए। कंपनी ने बढ़-चढ़कर बताया कि वित्त वर्ष 2010-11 में उसकी कुल आय 51 फीसदी बढ़ी और शुद्ध लाभ बढ़ा 98 फीसदी। प्रति शेयर लाभ (ईपीएस) हो गया अब 6.04 रुपए। मार्च 2011 की तिमाही में कुल आय में 116 फीसदी और शुद्ध लाभ में 227 फीसदी इजाफा। नतीजों के हो-हल्ले के बीच 13 मई को यह शेयर एकबारगी 19.90 रुपए से 18.34 फीसदी उछलकर 23.55 रुपए पर पहुंच गया था। लेकिन उसके बाद से बराबर गिर रहा है और कल 2.71 फीसदी की गिरावट के साथ 21.55 रुपए पर बंद हुआ है।

नतीजों के बाद इसे गिरना ही था और इस शेयर में निवेश करना सही नहीं है। आइए देखते हैं, कैसे और क्यों। जेमिनी कम्युनिकेशंस (बीएसई – 532318, एनएसई – GEMINI) ने अपने इधर-उधर के कामों को मिलाकर समेकित आधार पर वित्त वर्ष 2010-11 में 64.51 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ दिखाया है। उसकी इक्विटी 10.69 करोड़ रुपए है जो एक रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में बंटी है तो उसके कुल जारी शेयरों की संख्या भी इतनी ही हो गई। शुद्ध लाभ को शेयरों की कुल संख्या से भाग देने पर उसका ईपीएस 6.035 रुपए निकलता है। इस आधार पर 21.55 के मौजूदा भाव पर शेयर का पी/ई अनुपात 3.57 निकलता है। इसे देखकर किसी को भी निवेश का लालच हो सकता है।

लेकिन दूसरी तरफ अगर हम कंपनी की अकेले की या स्टैंड-अलोन उपलब्धि देंखें तो बीते वित्त वर्ष में उसका शुद्ध लाभ 10.43 करोड़ रुपए रहा है। इस पर उसका ईपीएस निकलता है मात्र 98 पैसे। अगर इसे आधार बनाएं तो उसका शेयर अभी 21.99 के पी/ई पर ट्रेड हो रहा है। असल में ये वो पेंच है जहां हमें बराबर सावधान रहना चाहिए। कंपनियां आमतौर पर कंसोलिडेटेड आधार पर न जाने कहां-कहां के धंधों को मिलाकर आंकड़ों की सुंदर तस्वीर पेश कर देती हैं। बहुत सारी रिसर्च व ब्रोकर फर्में भी इन्हीं कंसोलिडेटेड नतीजों को आधार बनाकर अपनी सिफारिशें करती हैं। लेकिन असली तस्वीर निकलती है कंपनी के स्टैंड-एलोन नतीजों से।

विश्लेषक या ब्रोकर फर्में कुछ भी कहें, लेकिन बाजार चूंकि सामूहिक समझ में सबसे उम्दा व तेज समझ से चलता है, इसलिए वह सब समझता है। इसीलिए ब्रोकर फर्में हमारे जैसे आम निवेशकों को तो झांसा देने में सफल हो जाती हैं, लेकिन वे बाजार के स्थाई खिलाड़ियों को चरका नहीं पढ़ा पातीं। जेमिनी इतने ‘शानदार’ नतीजों के बाद भी गिर रहा है तो उसकी एक वजह तो यह है। दूसरे, इस कंपनी के शेयरों में कुछ तो खेल चलता है। नहीं तो जनवरी 2010 में जब इसका भाव 40.10 रुपए था, तब यह 672 के पी/ई अनुपात पर नहीं ट्रेड हो रहा होता।

कंपनी कैसे निवेशकों को झांसा देती है, उसका एक छोटा-सा उदाहरण। कहती है कि लगातार दस सालों में वह लाभांश दे रही है। सच यह है कि 2006 में उसने कोई लाभांश नहीं दिया था, जबकि 2009 और 2010 में उसने एक रुपए के शेयर पर 5 पैसे यानी 5 फीसदी का लाभांश दिया है। असल में ऐसी कंपनियों में अमूमन होता यह है कि प्रवर्तक सीधे मुख्य धंधे के बजाय शेयर बाजार से कमाई करने में लगे रहते हैं। उनके पास कंपनी की बेनामी शेयरधारिता होती है। वे माहौल बनाकर शेयरों के भाव को चढ़ाते हैं। फिर बेचकर मुनाफा बटोर लेते हैं।

जेमिनी कम्युनिकेशंस कहती है कि वह दुनिया भर में छोटे व मध्यम आकार के बिजनेस की आईटी जरूरतें पूरी करती है। लैन-वैन डिजाइन व सोल्यूशन से लेकर एंटी-स्पाईवेयर, एंटी-वायरस, घुसपैठ की रोकथाम, नेटवर्क सुपरविजन जैसी तमाम सेवाएं उपलब्ध कराती है। बताती है कि उसके 2300 से ऊपर कर्मचारी हैं और 2000 से ज्यादा कस्टमर। कमाल है कि करीब-करीब हर कर्मचारी पर एक कस्टमर। ये कोई कंपनी है या गली-मोहल्ले में काम करनेवाली कंप्यूटर मैकेनिक!

कंपनी के ऊपर काफी कर्ज है। उसका ऋण-इक्विटी अनुपात 1.85 है जो इस तरह की आईटी सेवाओं में लगी कंपनी के लिए काफी ज्यादा है। कंपनी की 40.70 फीसदी इक्विटी प्रवर्तकों के पास है। लेकिन इसका 65.67 फीसदी हिस्सा उन्होंने गिरवी रखा हुआ है। उनकी हालत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि साल भर पहले गिरवी रखे शेयरों का अनुपात इससे कम 44.95 फीसदी था।

यूं तो कंपनी के आंकड़े बताते हैं कि उसका रिटर्न ऑन इक्विटी 26.71 फीसदी है, पिछले तीन सालों में उसकी आय 29.47 फीसदी और लाभ 21.25 फीसदी की चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है। लेकिन किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले हमें आंकड़ों के पीछे के सच की तहकीकात कर लेनी चाहिए। मुझे जेमिनी कम्युनिकेशंस दक्षिण की फिल्मों के हीरो की तरह कुछ ज्यादा ही हवाबाज लग रही है। इससे दूर ही रहना बेहतर है।

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