शिव है तो शक्ति है। धरती है तो गुरुत्वाकर्षण है। शरीर है तो मन है। मन को निर्मल रखना है तो पहले शरीर को सहज व शुद्ध रखना जरूरी है। बाद में मन भी शरीर को साधने में मदद करता है।और भीऔर भी

ऐसा क्यों कि हम जो भी बनाते हैं वो भस्मासुर बन हमारा ही नाश करने पर उतारू हो जाता है? नेता से लेकर अभिनेता और भगवान तक हम ही बनाते हैं। लेकिन वो मालिक बन बैठता है और हम गुलाम।और भीऔर भी