विशाल बाज़ार होने के बावजूद भारत जैसा विकासशील देश तब तक विकसित नहीं बन सकता, जब तक वह शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं विकसित कर लेता। यह हासिल कर पाना बेहद कठिन चुनौती है। भारत इसे 1947 में आज़ाद होने से लेकर 1991 में आर्थिक उदारीकरण का खुलापन अपनाने और उसके बाद भी अब तक के तीस सालों में झेलता रहा है। कारण, अर्थव्यवस्था का आधारभूत तंत्र बनाने में बहुत ज्यादा पूंजी बहुत ज्यादा समय तक लगानी पड़ती है। इस पर चूंकि रिटर्न बहुत ज्यादा समय में आता है, इसलिए फटाफट मुनाफा कमाने की फितरत वाला निजी क्षेत्र इसमें निवेश करने के लिए आगे नहीं आता। बैंक भी आधारभूत संरचना बनाने के लिए ऋण देने से कतराते हैं क्योंकि कम समय के डिपॉज़िट को वे ज्यादा समय के ऋण में फंसाने का जोखिम नहीं उठा सकते। आज़ादी के तुरंत बाद भी ऐसा हुआ और अब भी ऐसा ही हो रहा है। इसलिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकास का अधिकांश काम भारत सरकार को ही करना पड़ा है।और भी