ऑप्शंस को और हवा देने की तैयारी
देश पर लगता है कि डेरिवेटिव ट्रेडिंग का जुनून सवार है। आपको यकीन नहीं आएगा कि वित्त वर्ष 2001-02 से 2012-13 के बीच के ग्यारह सालों में इक्विटी फ्यूचर्स व ऑप्शंस (एफ एंड ओ) में रोज़ का औसत टर्नओवर 71.18 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ता हुआ 420 करोड़ से 1,55,048 करोड़ रुपए पर पहुंच चुका है। अभी कल, 18 अक्टूबर 2013 को एनएसई के एफ एंड ओ सेगमेंट का टर्नओवर 1,67,558 करोड़ रुपए रहाऔरऔर भी
पैसिव सरकार और एक्टिव ऑपरेटर
कच्चे तेल का हल्ला हमारे लिए बेमतलब है। मध्य-पूर्व में राजनीतिक संकट उभरने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ते ही जा रहे हैं। लेकिन इसी दौरान निफ्टी 5400 से 5900 और सेंसेक्स 18,000 से 19,750 तक बढ़ चुका है। मतलब यह कि फिलहाल भारतीय बाजार को गिराने या उठाने के कारकों में तेल का उतना हाथ नहीं है। एक सोच कहती है कि तेल की हालत अर्थव्यवस्था में पलीता लगा देगी और इसलिएऔरऔर भी
कोल इंडिया की कामयाबी में दो खोट
कोल इंडिया का आईपीओ 15.28 गुना सब्सक्राइब हुआ है। उसने भारतीय पूंजी बाजार का नया इतिहास रच दिया है। नया रिकॉर्ड बना दिया है। इश्यू से जुटाए जाने थे करीब 15,500 करोड़ रुपए, लेकिन निवेशकों ने लगा दिए हैं 2.37 लाख करोड़ रुपए। सभी ने इसमें बढ-चढ़कर निवेश किया। क्यूआईबी (क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल खरीदार) का हिस्सा 24.7 गुना तो एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) का हिस्सा 25.4 गुना सब्सक्राइब हुआ। यहां तक कि रिटेल निवेशकों के लिए रखा गयाऔरऔर भी