केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय से लेकर कॉरपोरेट मामलात मंत्रालय की तरफ से शेल कंपनियों से जुड़ी जैसी जानकारियां सामने लाई जा रही हैं, उससे कालेधन को सफेद करने के मामले में उनकी भूमिका को लेकर उठा रहस्य गहराता जा रहा है। कॉरपोरेट मामलात मंत्रालय ने इसी रविवार को बाकायदा विज्ञप्ति जारी कर जानकारी दी है है कि मंत्रालय के व्‍यापक अभियान के आधार पर दो साल या उससे भी अधिक समय तक निष्क्रिय रहने के कारणऔरऔर भी

कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने देश की 1,55,392 कंपनियों को ब्लैक-लिस्ट कर दिया है। इसकी वजह यह है कि इन कंपनियों ने 2006-07 से लेकर अब तक किसी साल की बैलेंस शीट दाखिल नहीं की है। सरकार के इस कदम के बाद ये कंपनियां न तो बैंकों या वित्तीय संस्थाओं के कोई ऋण ले पाएंगी और न ही किसी के साथ कोई नया अनुबंध कर पाएंगी। यह जानकारी खुद कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के सचिव डी के मित्तल नेऔरऔर भी

ग्लोबीकरण का शोर ज्यादा, सच्चाई कम है। अपना देश छोड़कर बाहर पढ़ने जानेवाले छात्रों की संख्या मात्र दो फीसदी है। अपनी मातृभूमि से अलग रहनेवाले लोगों की संख्या मात्र तीन फीसदी है। सीमाओं से बाहर व्यापार के लिए जानेवाले चावल की मात्रा केवल 7 फीसदी है। एस एंड पी 500 सूचकांक में शामिल कंपनियों के निदेशकों में विदेशियों की संख्या महज 7 फीसदी है। दुनिया के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का केवल 20 फीसदी हिस्सा निर्यात सेऔरऔर भी

शायद ऐसा सालों बाद पहली बार हुआ है। पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने निवेशकों की शिकायतों का समाधान न करने के लिए पांच लिस्टेड कंपनियों और उनके निदेशकों पर किसी भी तरह प्रतिभूति बाजार में उतरने या प्रतिभूतियों को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष तरीके से खरीदने-बेचने पर रोक लगा दी है। ये रोक तब जारी रहेगी जब तक ये कंपनियों निवेशकों की शिकायतें सुलझा नहीं देतीं। ये कंपनियां हैं – आशी इंडस्ट्रीज, एईसी एंटरप्राइसेज, सॉलिड कार्बाइड टूल्स,औरऔर भी

बिग बी अमिताभ बच्चन जिसके बारे में विज्ञापन करते हैं कि बिनानी सीमेंट सदियों के लिए, वह कंपनी अब शेयर बाजार से रुखसत होने की तैयारी में है। उसकी प्रवर्तक कंपनी बिनानी इंडस्ट्रीज ने कंपनी की पूरी पब्लिक होल्डिंग खरीद कर इसे डीलिस्ट करने का फैसला कर लिया है। बिनानी सीमेंट का निदेशक बोर्ड बुधवार, 6 अक्टूबर को अपनी बैठक में इस फैसले को पास कर चुका है। अब कंपनी के शेयरों के बीएसई और एनएसई सेऔरऔर भी