बिग बी अमिताभ बच्चन जिसके बारे में विज्ञापन करते हैं कि बिनानी सीमेंट सदियों के लिए, वह कंपनी अब शेयर बाजार से रुखसत होने की तैयारी में है। उसकी प्रवर्तक कंपनी बिनानी इंडस्ट्रीज ने कंपनी की पूरी पब्लिक होल्डिंग खरीद कर इसे डीलिस्ट करने का फैसला कर लिया है। बिनानी सीमेंट का निदेशक बोर्ड बुधवार, 6 अक्टूबर को अपनी बैठक में इस फैसले को पास कर चुका है। अब कंपनी के शेयरों के बीएसई और एनएसई से डीलिस्ट होने के बीच बस शेयरधारकों से मंजूरी की खानापूरी की जानी बाकी है। यह काम पोस्टल बैलट से किया जाएगा। लेकिन कंपनी में क्रेडिट स्युइस की 10.87 फीसदी हिस्सेदारी ऐसा फच्चर है जो डीलिस्टिंग की योजना पर पानी फेर सकता है।
असल में बिनानी सीमेंट, बिनानी ज़िंक, गोवा ग्लास फाइबर और बीटी कंपोजिट्स ब्रज बिनानी समूह की कंपनियां हैं। 1996 से 2004 के बीच समूह ने अपनी रीस्ट्रक्चरिंग के दौरान इन सभी की होल्डिंग कंपनी के रूप में बिनानी इंडस्ट्रीज का गठन किया जो खुद भी शेयर बाजार में लिस्टेड है। अब रीस्ट्रक्चरिंग की अगली कड़ी के रूप में बिनानी सीमेंट की लिस्टिंग खत्म कर दी जाएगी और वह मात्र बिनानी इंडस्ट्रीज की सब्सिडियरी बनकर रह जाएगी। लेकिन समूह के लिए यह काम इतना आसान नहीं होगा।
इस समय बिनानी सीमेंट की 203.10 करोड़ रुपए की इक्विटी में बिनानी इंडस्ट्रीज की हिस्सेदारी 69.90 फीसदी है। ब्रोकर फर्म एसएमसी कैपिटल्स के इक्विटी प्रमुख जगन्नाधम तुनगुंटला कहते हैं कि अगर वह सारी पब्लिक होल्डिंग मौजूदा बाजार भाव पर खरीदेगी तो उसे करीब 600 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। वैसे, खरीद का मूल्य रिवर्स बुक बिल्डिंग के जरिए तय होगा। लेकिन दिक्कत यह है कि बिनानी सीमेंट में जेपी मॉर्गन की 11.59 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि क्रेडिट स्युइस के पास अपनी निवेश शाखाओं – गणेश प्राइम और क्रेडिट स्युइश लाइमस्टोन के जरिए कंपनी की 10.87 फीसदी इक्विटी है। अन्य के पास केवल 7.64 फीसदी शेयर हैं।
सफल डीलिस्टिंग के लिए बिनानी इंडस्ट्रीज को बिनानी सीमेंट में 90 फीसदी हिस्सेदारी हासिल करनी होगी। इसका मतलब हुआ कि उन्हें कंपनी के 20.1 फीसदी शेयर और खरीदने होंगे। इस समय जेपी मॉर्गन और क्रेडिट स्युइस के पास कुल मिलाकर बिनानी सीमेंट के करीब 22.46 फीसदी शेयर हैं। अगर ये दोनों या इनमें से कोई भी रिवर्स बुक बिल्डिंग में अपनी हिस्सेदारी बेचने से इनकार कर दे तो बिनानी इंडस्ट्रीज बिनानी सीमेंट में 90 फीसदी हिस्सेदारी नहीं बना पाएगी और नतीजतन उसे डीलिस्ट करने का उसका मंसूबा धरा का धरा रह जाएगा।
अगर डीलिस्टिंग नाकाम रहती है तो दोनों ही कंपनियों के शेयर धड़ाम हो सकते हैं। हालांकि बाजार बंद होने से कुछ समय पहले इस घोषणा के बाद बिनानी सीमेंट के शेयर 3.92 फीसदी बढ़कर 99.40 रुपए और बिनानी इंडस्ट्रीज के शेयर 15.48 फीसदी बढ़कर 140.25 रुपए पर बंद हुए हैं। बता दें कि जेपी मॉर्गन ने बिनानी सीमेंट के पांच करोड़ शेयर साल 2005 में करीब 120 करोड़ रुपए में खरीदे थे। इस तरह उसका औसत खरीद मूल्य 24 रुपए प्रति शेयर रहा है। साल 2007 में बिनानी सीमेंट के आईपीओ के वक्त उसने कंपनी के दो करोड़ शेयर 75 रुपए के भाव से बेचकर 150 करोड़ रुपए जुटा लिए।
इसके अलावा अगस्त 2010 में बायबैक में जेपी मॉर्गन ने कंपनी को उसके लगभग 85 लाख शेयर 90 रुपए के भाव पर वापस बेचकर 76 करोड़ पाए हैं। इस तरह जेपी मॉर्गन बिनानी सीमेंट में अपने निवेश से 226 करोड़ रुपए वापस पा चुका है जो 120 करोड़ रुपए से मूल निवेश से 106 करोड़ रुपए ज्यादा है। अब उसके पास कंपनी के 2.15 करोड़ शेयर बचे हुए हैं। अब तक के कमाए गए मुनाफे को देखते हुए जेपी मॉर्गन शायद इन शेयरों को 100-120 रुपए के बाजार भाव पर वापस बेचने को तैयार हो जाए।
दूसरी तरफ क्रेडिट स्युइस ने 2006 में बिनानी सीमेंट के 1.85 करोड़ शेयर लगभग 150 करोड़ रुपए में खरीदे थे। इस तरह उसकी प्रति शेयर लागत करीह 73 रुपए पड़ी थी। उसने न तो 2007 के आईपीओ और न ही अगस्त 2010 के बायबैक में इनमें से कोई शेयर बेचे हैं। अगर वह 100 रुपए के आसपास के मौजूदा भाव पर अपने शेयर कंपनी को वापस बेचेगा तो उसका चार साल का रिटर्न महज 37 फीसदी होगा। इसलिए शायद क्रेडिट स्युइश अपने शेयर बेचने को उत्सुक न हो। पहले उसने 90 रुपए पर बायबैक में नहीं ही बेचे थे। लेकिन अगर क्रेडिट स्युइश बिनानी सीमेंट में अपनी हिस्सेदारी प्रवर्तकों को बेचने से इनकार कर देती है तो उसे डीलिस्ट कर पाना मुश्किल या कहें तो नामुमकिन हो जाएगा। उसे पटाने के लिए बिनानी इंडस्ट्रीज को हो सकता है 200 रुपए प्रति शेयर का मूल्य देना पड़े। ऐसा हुआ तो उसका खर्च दोगुना होकर 1200 करोड़ रुपए हो जाएगा। जाहिर-सी बात है कि बिनानी सीमेंट की डीलिस्टिंग की चाभी क्रेडिट स्युइस के हाथ में है।