केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उस नए खान व खनिज विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें प्रावधान है कि कोयला खनन कंपनियों को हर साल अपने शुद्ध लाभ का 26 फीसदी और अन्य खनिज कंपनियों को रॉयल्टी के बराबर रकम जिलास्तरीय खनिज न्यास में डालनी होगी जिसका इस्तेमाल स्थानीय लोगों के विकास में किया जाएगा। इस विधेयक के पारित होने के बाद तमाम खनिज व मेटल कंपनियों के शेयर धड़ाधड़ गिर गए। कोल इंडिया 5.2 फीसदी, स्टरलाइट इंडस्ट्रीज 4.1औरऔर भी

रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) फिर कोल इंडिया को पीछे छोड़ बाजार पूंजीकरण में देश की पहले नंबर की कंपनी बन गई। आज उसका बाजार पूंजीकरण 2,50,648 करोड़ रुपए रहा, जबकि कोल इंडिया 2,47,538 करोड़ रुपए पर आ गई। ऊपर से कोल इंडिया को आज एक विदेशी ब्रोकिंग हाउस ने डाउनग्रेड भी कर दिया, जबकि यह अभी तक एफआईआई का सबसे चहेता स्टॉक बना हुआ है। मोटी-सी बात है कि अगर सेंसेक्स में शामिल कंपनियों के लाभार्जन को डाउनग्रेडऔरऔर भी

कोल इंडिया अब बाजार पूंजीकरण के मामले में देश की सबसे बड़ी कंपनी बन गई है। उसने सालों से इस स्थान पर काबिज रिलायंस इंडस्ट्रीज को पीछे धकेल दिया है। इस समय कोल इडिया का बाजार पूंजीकरण 2,51,296 करोड़ रुपए है, जबकि रिलांयस इंडस्ट्रीज का मौजूदा बाजार पूंजीकरण 2,47,129 करोड़ रुपए ही रह गया है। यह फर्क लगातार बाजार का किंग कहे जानेवाले रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में आई गिरावट के चलते पैदा हुआ है। रिलायंस काऔरऔर भी

सरकार चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के विनिवेश से 40,000 करोड़ रुपए जुटाने के लक्ष्य को नीचे ला सकती है। केंद्रीय विनिवेश सचिव मोहम्मद हलीम खान ने सोमवार को मुंबई में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान यह इशारा किया। जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार शेयर बाजार में चल रही उछल-पुछल के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष के लिए निर्धारित विनिवेश लक्ष्य को घटाने पर विचार कर रही है, तब उनका कहना था, “यहऔरऔर भी

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी के बाजार पूंजीकरण में गिरावट जारी है। कुछ समय पहले तक वह बाजार पूंजीकरण (शेयरों के मूल्य और कुल शेयरों की संख्या का गुणनफल) में केवल रिलायंस इंडस्ट्रीज से पीछे थी। लेकिन इसके बाद अन्य सरकारी कंपनी कोल इंडिया उससे आगे निकल गई। अब टाटा समूह की कंपनी टीसीएस का बाजार पूंजीकरण भी ओएनजीसी से ज्यादा हो गया है। इस तरह बाजार पूंजीकरण के लिहाज से ओएनजीसी देश में ऊपर से चौथेऔरऔर भी

बाजार में सुबह से चर्चा थी कि निफ्टी आज गिरकर 5290 तक चला जाएगा और अगले कुछ दिनों में यह 4800 पर होगा। इसकी वजह यूरोप में ऋण संकट के उभार, ब्याज दरों में वृद्धि, डीजल के दाम बढ़ने के अंदेशे और विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड (एफसीसीबी) की चिंता को बताया जा रहा है। लेकिन शाम होते-होते ये सारे कयास गलत साबित हुए। निफ्टी नीचे में 5367.45 तक ही गया। लेकिन फिर 5422.60 तक बढ़ने के बादऔरऔर भी

कोल इंडिया (सीआईएल) ने बाजार पूंजीकरण के लिहाज से ओएनजीसी को पीछे छोड़ते हुए सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे मूल्यवान कंपनी बन गई है। वैसे, निजी क्षेत्र को मिला दें कि रिलायंस इंडस्ट्रीज अब भी इस लिहाज से देश की सबसे बड़ी कंपनी है। कोल इंडिया का शेयर सोमवार को एनएसई में 8.70 रुपए बढ़कर 397.60 रुपए पर बंद हुआ है। उसने आज ही 400.90 रुपए पर अब तक का उच्चतम स्तर भी बनाया है। इसी के साथऔरऔर भी

कोयला खानों के राष्ट्रीयकरण के 38 साल बाद केंद्र सरकार इसका निजीकरण करने को उत्सुक नजर आ रही है। कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के मुताबिक सरकार कोयले के वाणिज्यिक खनन पर सहमति बनाने का प्रयास कर रही है ताकि ऊर्जा क्षेत्र के सुधारों को गति दी जा सके और इस क्षेत्र को विकास प्रोत्साहन मिले और वो रफ्तार पकड़ सके। कोयला मंत्री ने राजधानी दिल्ली में गुरुवार को आयोजित एक कार्य्रकम में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा,औरऔर भी

देश की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का कहना है कि उसकी विभिन्न परियोजनाओं को पर्यावरण संबंधी मंजूरी नहीं मिलने का असर उसके कोयला उत्पादन पर हो सकता है और 2011-12 में भी उत्पादन शायद लगातार दूसरे साल स्थिर बना रहे। सार्वजनिक क्षेत्र की इस कंपनी की कुल घरेलू कोयला उत्पादन में 80 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है। वित्त वर्ष 2010-11 में उसका उत्पादन 43.1 करोड़ टन पर लगभग स्थिर रहा था। कोयलाऔरऔर भी

विदेशी निवेशक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में विश्वास जता रहे हैं। कोल इंडिया, पावरग्रिड कॉरपोरेशन और एनटीपीसी जैसी नौ कंपनियों में हाल के दिनों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की हिस्सेदारी बढ़ी है। पिछले दो साल में आईपीओ लानेवाली 11 सरकारी कंपनियों की शेयरधारिता के ताजा आंकड़ों के अनुसार नौ कंपनियों में चालू वित्त वर्ष 2010-11 की दिसंबर तिमाही में सितंबर तिमाही के मुकाबले एफआईआई की हिस्सेदारी बढ़ी है। हालांकि, ऑयल इंडिया और इंजीनियर्स इंडिया में एफआईआईऔरऔर भी