कोयला खानों के राष्ट्रीयकरण के 38 साल बाद केंद्र सरकार इसका निजीकरण करने को उत्सुक नजर आ रही है। कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के मुताबिक सरकार कोयले के वाणिज्यिक खनन पर सहमति बनाने का प्रयास कर रही है ताकि ऊर्जा क्षेत्र के सुधारों को गति दी जा सके और इस क्षेत्र को विकास प्रोत्साहन मिले और वो रफ्तार पकड़ सके।
कोयला मंत्री ने राजधानी दिल्ली में गुरुवार को आयोजित एक कार्य्रकम में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, “आदर्श रूप से तो कोयला क्षेत्र को भी ऊर्जा क्षेत्र में सुधारों की तर्ज पर वाणिज्यिक खनन के लिए खोल देना चाहिए था।” बता दें कि ऊर्जा क्षेत्र में सुधार 90 के दशक से शुरू हुए हैं।
उन्होंने कहा कि कोयले के वाणिज्यीकरण से प्रतिस्पर्धा बढाने और इसकी कीमतें तय करने में मदद मिलेगी। हालांकि अभी ऐसा होना है। उनके मुताबिक सरकार वाणिज्यिक खनन पर सहमति बनाने की दिशा में काम कर रही है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने 1973 में कोयला खानों का राष्ट्रीयकरण किया था। इसके बाद से खनन का काम मुख्यतः सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां ही करती हैं। कोयला उत्पादन में कोल इंडिया का हिस्सा 82 फीसदी से ज्यादा है। यह भी नोट करने की बात है कि कोयला खान राष्ट्रीयकरण कानून में संशोधन के प्रस्ताव दस साल से संसद में लंबित हैं। इस पर राजनीतिक सहमति नहीं बन पा रही है।