थोक के भाव खरीदना और रिटेल के भाव बेचना। इनवेंट्री कम से कम रखना। वॉलमार्ट से लेकर आम व्यापारी के मुनाफे का यही सलीका है। शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग से मुनाफा कमाने का भी यही सूत्र है। लेकिन हम करते हैं इसका उल्टा। यहां-वहां की एनालिसिस छलावा है। कुछ कौड़ियां पकड़ाकर वो महज भटकाती है। असल मुद्दा यह है कि शेयरों के थोक भाव और रिटेल भाव को पकड़ा कैसे जाए? बताएंगे आपको। पहले आज का बाज़ार।औरऔर भी

बाजार इस हफ्ते दायरे में बंधकर चलेगा। पहले निफ्टी 5230 से 5340 का दायरा तोड़े, तभी आगे की दिशा साफ हो सकती है। यह कहना है जानकारों का। लेकिन जीवन की तरह शेयर बाजार भी किसी फिल्म या सीरियल की स्क्रिप्ट नहीं है कि कम से कम लिखनेवाले को आगे का पता हो। यहां तो हर कोई, बड़े से बड़ा दिग्गज भी अंदाज ही लगाता है। नहीं लगा तो तीर, लग गया तो तुक्का। बाजार में हरऔरऔर भी

सार्वजनिक क्षेत्र की जिन कंपनियों के पास इफरात कैश है, वे अब अपने शेयरों को वापस खरीदने के साथ-साथ दूसरी सरकारी कंपनियों के विनिवेश में भी शिरकत कर सकती हैं। गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने काफी समय से अटकते चले आ रहे इस फैसले पर मुहर लगा दी। मंत्रिमंडल के इस फैसले की जानकारी देते हुए भारी उद्योग मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने संवाददाताओं को बताया कि सरकार ने इजाजत दे दी है। लेकिन क्या करना है, इसकाऔरऔर भी

केंद्र सरकार ने कोल इंडिया को सख्त निर्देश दिया है कि वह बिजली कंपनियों को दीर्घकालिक कोयला आपूर्ति की गारंटी दे, नहीं तो उस पर पेनाल्टी लगाई जा सकती है। यह पहल सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से की गई है। निर्देश में कहा गया है कि कोल इंडिया 2015 में चालू की जानेवाले बिजली परियोजनाओं के साथ 20 साल तक ईंधन (कोयला) सप्लाई करने का करार करे। बुधवार को जारी एक सरकारी बयान के अनुसार इससेऔरऔर भी

कोई समझे या न समझे। हमारा तो यही अंदाज़ है। जयश्री टी में हमने जो लक्ष्य 30 दिन में हासिल करने की बात कही थी, उसे तीन ट्रेडिंग सत्रों में ही हासिल कर लिया। हमने इसके 99 रुपए पर पहुंचने की बात कही थी। कल यह 99.40 रुपए तक चला गया। हमारा काम है पूरी ईमानदारी से निवेश की सलाह देना और वह काम हम किए जा रहे हैं। हां, बुद्धि और विश्लेषण की सीमा है तोऔरऔर भी

नए वित्त वर्ष 2012-13 में केंद्र सरकार के 17 बड़े उपक्रम 1.40 लाख करोड़ रुपए का निवेश करेंगे। देश में पहली पंचवर्षीय योजना के दौरान केंद्रीय सार्वजनिक उद्यमों की संख्या मात्र पांच थी। अब तक बढ़कर यह 250 हो गई है। इनमें से इंडियन ऑयल का टर्नओवर देश में सबसे ज्यादा, ओएनजीसी का मुनाफा सबसे ज्यादा, एनटीपीसी सबसे बड़ी सार्वजनिक सेवा कंपनी और कोल इंडिया सबसे ज्यादा बाज़ार पूंजीकरण वाली कंपनी है। इनमें से कुछ कंपनियां दुनियाऔरऔर भी

ज्यादातर रोल्स कल से होना शुरू हो गए हैं। यूं तो रोलओवर का सच बाजार के और बढ़ने की इजाजत नहीं देता। लेकिन बाजार बढ़ा जा रहा है। तमाम कंपनियों के नतीजे मिले-जुले रहे हैं। बहुत से स्टॉक्स दिसंबर तिमाही के खराब नतीजों के बावजूद नहीं गिर रहे हैं। इसका मतलब यही हुआ कि बाजार खुद को जमा रहा है। यह लंबे समय के लिए बड़ा शुभ लक्षण है। रिजर्व बैंक ने उम्मीद के मुताबिक ब्याज दरोंऔरऔर भी

इस समय 176 कोयला परि‍योजनाएं पर्यावरण व वन वि‍भाग की मंजूरी न मि‍लने के कारण अटकी हुई हैं। यह जानकारी सोमवार को कोयला मंत्रालय की तरफ से दी गई है। मंत्रालय ने  कोयला उत्‍पादक राज्‍यों के साथ पर्यावरण व वन वि‍भाग की मंजूरी और भूमि अधि‍ग्रहण जैसे मसलों को तेजी से सुलझाने की बातचीत में लगा है। इसके अलावा, कोयले की मांग और आपूर्ति‍ के अंतर को पाटने के लि‍ए कोल इंडि‍या (सीआईएल) वि‍देश में कोयले केऔरऔर भी

हमने अपनी सारी लॉन्ग कॉल्स शुक्रवार को ही बंद कर दी थीं क्योंकि हमें पूरा अहसास था कि रिलायंस इंडस्ट्रीज और टीसीएस सितंबर तिमाही के नतीजों से बाजार को निराश करेंगी। इसके ऊपर से दुनिया के बाजारों ने आग में घी डालने का काम कर दिया। कुछ बाजार सूत्रों का कहना है कि आज दो प्रमुख एफआईआई ने निफ्टी में अपनी लांग पोजिशन काटी है। लेकिन मैं पक्की तरह जानता हूं कि यह सब ड्रामा है। गिरावटऔरऔर भी

हमारे शेयर बाजार और यहां के उस्तादों की बलिहारी है। जो कंपनी सिर्फ एक खनिज, कोयला निकालती है, उस कोल इंडिया का शेयर 34.54 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है और जो कंपनी लौह अयस्क ही नहीं, तांबा, रॉक फॉस्फेट, लाइमस्टोन, डोलोमाइट, जिप्सम, टिन, टंगस्टेन, बेंटानाइट और मैग्नेसाइट से लेकर हीरे तक का खनन करती है, उसका शेयर मात्र 14.66 के पी/ई पर डोल रहा है। वह भी तब, जब कर्नाटक में अवैध खनन परऔरऔर भी