हमारे शेयर बाजार और यहां के उस्तादों की बलिहारी है। जो कंपनी सिर्फ एक खनिज, कोयला निकालती है, उस कोल इंडिया का शेयर 34.54 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है और जो कंपनी लौह अयस्क ही नहीं, तांबा, रॉक फॉस्फेट, लाइमस्टोन, डोलोमाइट, जिप्सम, टिन, टंगस्टेन, बेंटानाइट और मैग्नेसाइट से लेकर हीरे तक का खनन करती है, उसका शेयर मात्र 14.66 के पी/ई पर डोल रहा है। वह भी तब, जब कर्नाटक में अवैध खनन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जुलाई में लगाई गई बंदिश के बाद हर तरफ लौह अयस्क की त्राहि-त्राहि मची हुई है।
जी हां, इस समय सरकारी कंपनी एनएमडीसी के ऊपर देश की 64 स्टील कंपनियों को लौह अयस्क सप्लाई करने का जिम्मा है। यूं तो वह देश की सबसे बड़ी लौह अयस्क खनन कंपनी है। लेकिन इतने सारे ऑर्डर जबरदस्त भागमभाग के बावजूद उसके लिए पूरा करना मुश्किल पड़ रहा है। जेएसडब्ल्यू स्टील जैसी तमाम कंपनियां कच्चे माल को तरस रही हैं। इस वक्त कर्नाटक में एनएमडीसी की ही केवल दो खदानों – डोनीमलाई व कुमारस्वामी में खनन हो रहा है। अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कंपनी महीने में कम से कम 10 लाख टन लौह अयस्क निकाले। इस हिसाब से उसे हर दिन करीब 35,000 टन उत्पादन करना था, जबकि सारा जोर लगा देने के बावजूद वह 28,000 से 32,000 टन ही उत्पादन कर पा रही है।
इतनी ज्यादा पूछ के बाद एनएमडीसी के शेयर में जबरदस्त उछाल आना चाहिए था। लेकिन जुलाई में 268 रुपए तक गया उसका एक रूपए अंकित मूल्य का शेयर कल बीएसई (कोड – 526371) में 251.30 रुपए और एनएसई (कोड – NMDC) में 251.95 रुपए पर बंद हुआ है। यह ए ग्रुप और सूचकांकों में शामिल कंपनी है तो उसके डेरिवेटिव भी चलते हैं। अभी उसके इसके महीने के फ्यूचर्स का भाव 251.65 रुपए तक चल रहा है। कमाल की बात तो यह है कि इतने जबरदस्त ऑर्डरों के बावजूद एनएमडीसी का शेयर 26 अगस्त 2011 को अपने 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर 204.45 रुपए पर पहुंच गया। अभी दस दिन पहले 4 अक्टूबर को वह नीचे में 213.30 रुपए तक चला गया था।
कल 13 अक्टूबर को वो ऊपर में 253.85 रुपए तक गया है। इस तरह पिछले सात कारोबारी सत्रों में एनएमडीसी का शेयर करीब 19 फीसदी बढ़ चुका है। लेकिन अब भी इसके बढ़ने की भरपूर गुंजाइश है। लांग टर्म में ही नहीं, शॉर्ट टर्म में भी। एक तो यह अपने न्यूनतम स्तर से बहुत दूर नहीं गया है। दूसरे, इसी साल 7 अप्रैल 2011 को हासिल किए उच्चतम स्तर 305 रुपए से यह काफी दूर है। अभी जिस तरह से देश ही नहीं, दुनिया भर में खनिज संपदा की मारामारी मची हुई है, उसमें किसी न किसी दिन एनएमडीसी के सितारे बहुत बुलंद होने वाले हैं।
आपको शायद याद होगा कि करीब डेढ़ साल पहले मार्च 2010 में एनएमडीसी का पब्लिक इश्यू (एफपीओ या फॉलोऑन पब्लिक ऑफर) 300 रुपए पर आया था। इसमें रिटेल निवेशकों को 5 फीसदी डिस्काउंट के बाद 285 रुपए के मूल्य पर शेयर बेचे गए थे। अभी बाजार में यह उससे भी करीब 12 फीसदी नीचे चल रहा है। इसलिए लंबे समय के लिए इसे खरीद कर रख लेने में कोई हर्ज नहीं। जिन्होंने एफपीओ में इसके शेयर लिए होंगे, उन्हें भी दिल छोटा करने की जरूरत नहीं है। अरे! ऐसे शेयरों के लिए डेढ़-दो साल कुछ नहीं होते। दस साल बाद इनकी रंगत देखिएगा। बता दूं कि देश में पन्ना की हीरा खदानों का संचालन एनएमडीसी ही करती है। पिछले साल उसने वहां से 16,529 कैरेट हीरे निकाले थे।
हां, एक जमीनी वास्तविकता हमें ध्यान में रखनी चाहिए। एफपीओ के बाद भी एनएमडीसी में सरकार की हिस्सेदारी 90 फीसदी है। इसलिए इसके एफपीओ आगे भी आने हैं। इसलिए एफआईआई दूसरे उस्ताद लोगों के साथ मिलकर इसे हमेशा दबाने की कोशिश करेंगे। इसलिए इसको रडार पर तो हमेशा रखना चाहिए। लेकिन थोड़ा-थोड़ा करके खरीदना चाहिए ताकि गिर जाने पर अफसोस न हो कि हम तो चूक गए या हमें तो घाटा हो गया। वैसे, एसआईपी (नियमित अंतराल पर निवेश) आज के जमाने में धन को सुरक्षित रूप से वृद्धि के चक्र पर चढ़ाने का ऐसा सीधा-सरल चमत्कारिक आविष्कार है कि चित भी मेरी, पट भी मेरी। जिसके पास भी बचत हो, उसे इससे दूर नहीं रहना चाहिए।
एनएमडीसी के साथ सबसे बड़ा रिस्क यह है कि उसकी खदानें आदिवासी इलाकों में हैं। बैलाडीला की मुख्य खदान छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में हैं, जहां नक्सलियों का आतंक रह-रहकर सिर उठाता रहता है। लेकिन वह चाहे तो स्थानीय लोगों को विकास की प्रक्रिया में भागीदार बनाकर इस जोखिम को खत्म कर सकती है। आखिर वो कोई ईस्ट इंडिया कंपनी तो है नहीं कि विदेश से भारत को लूटने आई है। वो तो सरकारी कंपनी है जिसमें जनता का ही धन लगा हुआ है तो उससे जनता का हित करना उसकी जिम्मेदारी बनती है।
बाकी, कंपनी को लगातार बढ़ना ही है। अभी उसकी कुल लौह अयस्क उत्पादन क्षमता 290 लाख टन सालाना है। 2015 तक वह इसे बढ़ाकर 500 लाख टन सालाना करने में लगी है। उसने कर्नाटक व छत्तीसगढ़ में लौह अयस्क को खुद ही परिष्कृत कर पेलेट बनाने का संयंत्र लगाने की योजना बना रखी है। यही नहीं, वह छत्तीसगढ़ में एक एकीकृत इस्पात संयंत्र लगाने पर भी काम कर रही है। कंपनी का इरादा कोयले व कुछ अन्य खनिजों के खनन में भी उतरने का है। उसने हाल भी में ऑस्ट्रेलिया की कंपनी लेगैसी आइरन ओर में 50 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है। कहने का मतलब यह कि हम एकदम निश्चिंत भाव से एनएमडीसी में लंबे नजरिए के साथ अपनी बचत लगा सकते हैं।