बातें अर्थशास्त्रियों की, हकीकत से परे
तमाम अर्थशास्त्री कह रहे हैं कि भारत की हालत सरकारी कर्मों व आम भारतीय स्वभाव के चलते अंदर ही अंदर इत्ती खोखली होती जा रही है कि हल्के धक्के से गिर जाए। रुपया डूब रहा है। विदेशी निवेशकों को रोक पाना बहुत कठिन है। वैसे, अर्थशास्त्रियों पर एक चर्चित लेखक कहते हैं कि जिज्ञासु जन वैज्ञानिक, संवेदनशील जन कलाकार और व्याहारिक लोग बिजनेस करते हैं; बाकी बचे लोग अर्थशास्त्री हो जाते हैं। सो, उन्हें छोड़ बढ़ें आगे…औरऔर भी