हां, यह सच है कि नए साल के बजट में आम शहरी के लिए कुछ नहीं है क्योंकि साल भर में बचाया गया 2060 रुपए का टैक्स किसी अच्छे रेस्तरां में परिवार के लिए एक समय के भोजने के लिए भी पूरा नहीं पड़ेगा। यह निवेशकों के लिए भी अच्छा बजट नहीं है। इसलिए अगर बाजार विश्लेषक कह रहे हैं कि वित्त मंत्री अच्छा मौका चूक गए तो यह एक तरीके से सही है। लेकिन शायद आपनेऔरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने राजकोषीय घाटे को कैसे ‘मैनेज’ किया होगा, इसका हल्का-हल्का रहस्य अब सामने आने लगा है। शुक्रवार को केंद्र सरकार ने उर्वरक सब्सिडी के लिए लोकसभा में 8000 करोड़ रुपए की अनुपूरक अनुदान मांग पेश की। इसे मिला देने पर चालू वित्त वर्ष 2010-11 में उर्वरक सब्सिडी का कुल खर्च 66,075 करोड़ रुपए हो जाता है, जबकि वित्त मंत्री ने चार दिन पहले ही पेश किए गए बजट में इस खर्च का संशोधितऔरऔर भी

बीएसई सेंसेक्स 623 अंक उठा था तो हिचकी का आना लाजिमी था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम की चिंता में बाजार 128 अंक गिरकर खुला। फिर 157 अंक ऊपर चढ़ गया। और, फिर चौरस हो गया। इस बीच बाजार के स्वघोषित वित्त मंत्री (एनालिस्ट) बजट की मीनमेख निकालने में जुटे हैं। खासकर राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के बारे में उनका कहना है कि इसे हासिल नहीं किया जा सकता। ऐसी ही गलती सीएलएसए ने 2003औरऔर भी

नौकरीपेशा लोगों के एक हिस्से को आयकर रिटर्न दाखिल करने से मुक्ति की वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की बजट घोषणा के बारे में अभी तक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है। लेकिन सीबीडीटी के चेयरमैन सुधीर चंद्रा के मुताबिक इस साल 5 लाख रुपए से कम वेतनवाले लोगों को टैक्स रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं होगी। सुधीर चंद्रा का कहना है, “वेतनभोगी लोगों, हो सकता है 5 लाख रुपए तकऔरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने माना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और अन्य जिंसों की कीमतों में तेजी से देश पर महंगाई का दबाव बढ़ सकता है। मंगलवार को राजधानी दिल्ली में उद्योग संगठन फिक्की की 83वीं सालाना आमसभा को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा, ‘‘दुनिया के बाजार में जिंसों की कीमतों से देश में महंगाई पर दबाव पड़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।’’ उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीयऔरऔर भी

आलोचकों की आलोचनाओं को धता बताते हुए बाजार में बजट का उत्साह कायम है। मंगलवार को सेंसेक्स और निफ्टी साढ़े तीन फीसदी बढ़ गए। वैसे, सच कहूं तो हमें इस बात की कतई परवाह नहीं करनी चाहिए कि कोई बजट के बारे में क्या कह रहा है क्योंकि हकीकत यही है कि इस बार का बजट पिछले साल से बेहतर है और ऐसे सुधारों से भरा हुआ है जो शेयर बाजार को नई ऊंचाई पर ले जाऔरऔर भी

वित्त वर्ष 2011-12 के लिए देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का बजट अनुमान है 89,80,860 करोड़ रुपए, जबकि वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने राजकोषीय घाटे का अनुमान रखा है 4,12,817 करोड़ रुपए। इस तरह नए वित्त वर्ष में वित्त मंत्री ने राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.6 फीसदी तक सीमित रखने का मसूंबा बांधा है। लेकिन बहुतेरे जानकार व अर्थशास्त्री वित्त मंत्री के इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को शक की नजर से देखते हैं। हालांकि एनम सिक्यूरिटीजऔरऔर भी

चालू खाते के बढ़ते घाटे से परेशान सरकार देश में विदेशी पूंजी को खींचने की हरचंद कोशिश कर रही है। इसी के तहत 2011-12 के बजट में जहां कॉरपोरेट बांडों को विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की निवेश सीमा बढ़ाकर 40 अरब डॉलर कर दी गई है, वहीं म्यूचुअल फंडों को अपनी इक्विटी स्कीमों में सीधे विदेशी निवेशकों से अभिदान या सब्सक्रिप्शन लेने की इजाजत दे दी गई है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने यह घोषणा करते हुएऔरऔर भी

साल भर पहले जब सरकार ने घोषित किया था कि वह राजकोषीय घाटे को जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 5.5 फीसदी तक सीमित रखेगी, तब उसका यह लक्ष्य और दावा बड़ा अतार्किक लग रहा था। लेकिन 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से मिले अतिरिक्त धन की बदौलत सरकार राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.1 फीसदी तक लाने में कामयाब रही है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की यह एक बड़ी उपलब्धि है। हालांकि आस्तियों को बेचना घाटे को पूराऔरऔर भी

वित्त वर्ष 2011-12 का बजट देश और देश की अर्थव्यवस्था के हित में है। शेयर बाजार अभी इसे अपने हित में मानता है या नहीं, इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता क्योंकि आखिरकार अर्थव्यवस्था ही बाजार की भी मजबूती का आधार बनती है। फिर आज अगर बीएसई सेंसेक्स करीब 600 अंक उछला है तो जरूर बाजार ने भी इसका अहसास किया है। हालांकि सेंसेक्स बाद में केवल 122.49 अंकों या 0.69 फीसदी की बढ़त के साथ 17,823.40 परऔरऔर भी