वित्त वर्ष 2011-12 का बजट देश और देश की अर्थव्यवस्था के हित में है। शेयर बाजार अभी इसे अपने हित में मानता है या नहीं, इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता क्योंकि आखिरकार अर्थव्यवस्था ही बाजार की भी मजबूती का आधार बनती है। फिर आज अगर बीएसई सेंसेक्स करीब 600 अंक उछला है तो जरूर बाजार ने भी इसका अहसास किया है। हालांकि सेंसेक्स बाद में केवल 122.49 अंकों या 0.69 फीसदी की बढ़त के साथ 17,823.40 पर बंद हुआ है जो दिखाता है कि मंदड़ियों का शिकंजा अभी उतना ढीला नहीं पड़ा है।
कुल मिलाकर बजट में कई सकारात्मक व साहसी कदम उठाए गए हैं जो हमारी उम्मीदों को काफी हद तक पूरा करते हैं। राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.6 फीसदी पर रखा गया है, जबकि अनुमान 4.7 फीसदी या 4.8 फीसदी का लगाया जा रहा था। ऑटो सेक्टर के प्रोत्साहन का जारी रखना एक सकारात्मक कदम है और इलेक्ट्रिक/हाइब्रिड कारों पर जोर देना भारत में और अधिक निजी निवेश को आकर्षित करेगा।
इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च 23.3 फीसदी बढ़ाकर 2.14 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है। फर्टिलाइजर और कोल्ड-चेन व फसल-बाद स्टोरेज में किए गए पूंजी निवेश को इंफ्रास्ट्रक्चर के सब-सेक्टर में गिनना इन क्षेत्रों को आवेग देने का बड़ा कदम है। इससे इन क्षेत्रों में निवेश खींचने में भी मदद मिलेगी। कस्टम ड्यूटी का सेल्फ-एसेसमेंट साहसी सुधारों की प्रक्रिया का एक जरूरी फैसला है। राजस्व हासिल करने की दिक्कतों के बावजूद राजस्व घाटे और राजकोषीय घाटे को काबू में रखना बड़ी उपलब्धि है।
कर-छूट की सीमा बढ़ाना और सेवा कर की दरों में कमी समावेशी विकास के एजेंडा को आगे बढ़ाएगी। वेतनभोगी तबके के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की बाध्यता खत्म करना भी सुधारों की दिशा में उठाया गया एक साहसी कदम है। पी चिदंबरम ने कई साल पहले ऐसा करने की पेशकश की थी। लेकिन इस पर कुछ ठोस नहीं हो पाया था।
कृषि आधारित उद्योगों को मिले आवेग से कृषि क्षेत्र की विकास दर 5.4 फीसदी से बेहतरी की तरफ बढ़ेगी। बजट से ज्यादा रकम को ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ले जाना सही दिशा में उठाया गया सही कदम है। फसल ऋण पर ब्याज दर भी घटाना समावेशी विकास के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को उठाने की कोशिश का हिस्सा है।
विनिवेश से जुटाई जानेवाली रकम हमारी उम्मीद के अनुरूप 40,000 करोड़ रुपए रखी गई है। 1.25 लाख करोड़ रुपए के गैर-कर राजस्व में से विनिवेश के 40,000 करोड़ रुपए घटा दें तो बाकी 85,000 करोड़ रुपए कहां से आएंगे, यह देखना अभी बाकी है। काले धन से निपटने की योजनाओं पर सरकार काम कर रही है।
पी-नोट के जरिए एफआईआई की बिक्री हालांकि आधिकारिक तरीका है। लेकिन म्यूचुअल फंड में क्यूआईआई, एफआईआई व एफडीआई की इजाजत मिलने से आखिरकार एफआईआई के हमलों को टक्कर देने का मजबूत आधार बन सकता है। कॉरपोरेट बांडों में एफआईआई निवेश की सीमा बढ़ाकर 40 अरब डॉलर करना भी विदेशी निवेश को आकर्षित करने की दिशा में उठाया गया सकारात्मक कदम है।
भ्रष्टाचार से निपटने के लिए मंत्रियों का समूह बनाना, सार्वजनिक जवाबदेही, मंत्रियों की ताकत के दुरुपयोग को रोकना भी आगे की दिशा में उठाया गया सही कदम है। संक्षेप में कहें तो सीमाओं को समझते हुए वित्त मंत्री ने आर्थिक विकास और राजकोषीय सुदृढीकरण के बीच अच्छा संतुलन कायम किया है। उन्होंने सुधारों को आगे बढ़ाने का संकेत दिया है। वे सही दिशा में जा रहे हैं।
हालांकि निराशावादी अब भी मानते हैं कि राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.6 फीसदी तक लाना असंभव है। लेकिन उनको मैं नही, भगवान ही सद्बुद्धि दे सकता है। मेरे अंदर की भावना यही है कि बाजार में विश्वास को कायम करने का काम अब हो चुका है। यह व्यापक स्तर पर खरीदने का मौका है। हालांकि मार्च में क्लोजर की वजह से अब भी थोड़ी कठिनाई पेश आ सकती है। लेकिन मुझे पक्का यकीन है कि बाजार 2011 में ही नई ऊंचाई पर पहुंच जाएगा।
अगर किसी ने कोई गलती ही नहीं की है तो इसका मतलब यही हुआ कि उसने अब तक कुछ भी नया करने की कोशिश नहीं की है।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)