उर्वरक सब्सिडी पर सरकार का छल, खर्च अनुमान से 11000 करोड़ ज्यादा

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने राजकोषीय घाटे को कैसे ‘मैनेज’ किया होगा, इसका हल्का-हल्का रहस्य अब सामने आने लगा है। शुक्रवार को केंद्र सरकार ने उर्वरक सब्सिडी के लिए लोकसभा में 8000 करोड़ रुपए की अनुपूरक अनुदान मांग पेश की। इसे मिला देने पर चालू वित्त वर्ष 2010-11 में उर्वरक सब्सिडी का कुल खर्च 66,075 करोड़ रुपए हो जाता है, जबकि वित्त मंत्री ने चार दिन पहले ही पेश किए गए बजट में इस खर्च का संशोधित अनुमान 55,000 करोड़ रुपए रखा है। इस तरह वास्तविक खर्च संशोधित अनुमान से भी 11,075 करोड़ रुपए अधिक है।

यह बात काफी चौंकानेवाली है क्योंकि ऐसा हो नहीं सकता कि उस समय वित्त मंत्री या उनके मंत्रालय को वास्तविक स्थिति नहीं पता रही होगी। बता दें कि चालू वित्त वर्ष के लिए उर्वरक सब्सिडी का बजट अनुमान 53,075 करोड़ रुपए था। वर्ष के दौरान सरकार इस उद्योग को 5000 करोड़ रुपए अनुपूरक अनुदान के रूप में दे चुकी है। शुक्रवार को दिए गए 8000 करोड़ रुपए में से 4350 करोड़ रुपए नियंत्रण-मुक्त उर्वरकों (पोटाश व फॉस्फेट) के आयात के खर्च की भरपाई के लिए हैं, जबकि 3650 करोड़ रुपए घरेलू उत्पादकों को दिए जाएंगे।

इस तरह इस साल की वास्तविक उर्वरक सब्सिडी 66,075 (53,075 + 5000 + 8000) करोड़ रुपए हो जाती है। लेकिन बजट दस्तावेजों में इसका संशोधित अनुमान 55,000 करोड़ रुपए ही रखा गया है। यही नहीं, वित्त वर्ष मंत्री ने अगले वित्त वर्ष 2011-12 के लिए उर्वरक सब्सिडी का अनुमान घटाकर मात्र 50,000 करोड़ रुपए कर दिया है। सवाल उठता है कि साल भर में एकबारगी उर्वरक सब्सिडी वास्तविक खर्च ने 16,000 करोड़ रुपए कैसे कम हो सकती है? जानकारों का कहना है कि इसी तरह अवास्तविक खर्च दिखाकर वित्त मंत्री ने नए वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.6 फीसदी पर लाने का ‘चमत्कार’ दिखाया है।

बता दें कि देश में यूरिया की जरूरत का 85 फीसदी घरेलू उत्पादन से पूरा किया जाता है, जबकि फॉस्फोरस व पोटाश-युक्त उर्वरकों का बड़ा हिस्सा आयात किया जाता है। इस वित्त वर्ष में अप्रैल-नवंबर 2010 के दौरान दश में 161.70 लाख टन उर्वरक आयात किया गया है, जबकि पिछले पूरे वित्त वर्ष 2009-10 में कुल उर्वरक आयात 163.8 लाख टन का था। सरकार के मुताबिक उर्वरकों की लागत का मात्र 25 से 40 फीसदी भाग ही किसानों से लिया जाता है। बाकी लागत का बोझ खुद सरकार उठाती है और सब्सिडी के रूप में उर्वरक कंपनियों को दे देती है।

वैसे, केंद्र सरकार ने आज (शुक्रवार को) चालू वित्त वर्ष में पेट्रोलियम व उर्वरक सब्सिडी और कुछ अन्य मदों पर अतिरिक्त खर्च की भरपाई के लिए संसद से 79,590 करोड रुपए की अनुपूरक अनुदान मांगें पेश की। यह राशि पहले इन मदों की सब्सिडी के लिए मंजूर खर्च के अतिरिक्त होगी। कुल मांगी गई इस राशि में से 8000 करोड़ तो उर्वरक सब्सिडी के लिए हैं, जबकि 21,000 करोड रुपए तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को उनके नुकसान की भरपाई के लिए दिए जाएंगे।

अनुदान मांगों में रक्षा पेंशन राशि को पूरा करने के लिए 9000 करोड रुपये की और मांग की गई है। अनुदान मांगों की इस तीसरी किस्त में कुल 79,590 करोड रुपए की मांग में से 68,918 करोड रुपए नकद व्यय के रूप में होंगे, जबकि शेष राशि दूसरे खर्चों से बची हुई राशि अथवा अतिरिक्त प्राप्ति के जरिए पूरी की जाएगी।

वित्त मंत्रालय का दावा है कि इस अतिरिक्त व्यय से वर्ष 2010-11 के संशोधित राजकोषीय घाटे के आंकडे पर कोई असर नहीं होगा क्योंकि यह राशि बजट के संशोधित अनुमान में पहले ही शामिल की जा चुकी है। वर्ष 2010-11 के संशोधित अनुमान के अनुसार राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.1 फीसदी रहने का अनुमान है जबकि इसका बजट अनुमान 5.5 फीसदी रखा गया था।

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