बाज़ार में अजीब से उन्माद से भरी इस रैली का कोई अंत नहीं दिख रहा। कल भी और आज भी पंटर भाई लोग शॉर्ट सौदे करते रहे। तेजड़िए अगले गुरुवार तक आसानी से मोर्चा नहीं छोड़ने वाले हैं। वे जबरदस्त कैश का अंतर खींचने का यह मौका हाथ से नहीं जाने देंगे। आप यह बात खुद देख लीजिएगा। यकीन मानिए कि मंदड़ियों को इससे जो नुकसान होगा, वह उन पर बहुत-बहुत भारी पड़ेगा। पिछले 15 महीनों मेंऔरऔर भी

बाजार के बारे में क्या कहा जाए! यहां कोई न्यूनतम स्तर भी न्यूनतम स्तर नहीं होता। जैसे, नव भारत वेंचर्स ने पिछले साल 29 नवंबर 2010 को 295.10 रुपए पर तलहटी बनाकर 302 रुपए पर बंद हुआ तो उसका तब का पी/ई अनुपात 5.33 था और शेयर की बुक वैल्यू थी 234.06 रुपए। ऐसे में इसमें निवेश की सलाह तो बनती ही थी। लेकिन यह शेयर 30 अगस्त 2011 को 158 रुपए के नए न्यूनतम स्तर पहुंचऔरऔर भी

शुक्रवार को जब दुनिया भर के तमाम बाजारों के सूचकांक धांय-धांय गिर रहे थे, बीएसई सेंसेक्स 3.97 फीसदी और एनएसई निफ्टी 4.04 फीसदी गिर गया था, तब भारतीय शेयर बाजार का एक सूचकांक ऐसा था जो कुलांचे मारकर दहाड़ रहा है। यह सूचकांक है एनएसई का इंडिया वीआईएक्स जो यह नापता है कि बाजार की सांस कितनी तेजी से चढ़ी-उतरी, बाजार कितना बेचैन रहा, कितना वोलैटाइल रहा। जी हां, अमेरिका के एक और आर्थिक संकट से घिरऔरऔर भी

निराशावाद का साया बाजार से हटने को राजी नहीं है। हवा फैलाई जा रही है कि निफ्टी 5000 या 4800 तक भी जा सकता है क्योंकि वह 200 दिनों के मूविंग औसत (डीएमए) को नीचे में तोड़ चुका है। आज सुबह 10 बजे निफ्टी को तोड़कर 5525 तक ले जाया गया। लेकिन बाद में वह 0.43 फीसदी की बढ़त के साथ 5565.05 पर बंद हुआ। इस दौरान ज्यादातर पंटरों ने भी निफ्टी में 5700 की सीरीज कीऔरऔर भी

मैं अपनी पुरानी राय पर कायम हूं और उसमें कोई तब्दीली नहीं आई है। यह भी तय मान लें कि चाहे कुछ भी हो जाए, मैं अपनी राय नहीं बदलूंगा क्योंकि ऐसा करना मुझे कतई मंजूर नहीं। इस महीने 77,000 करोड़ रुपए के आईपीओ आने हैं। ऐसे में बाजार में करेक्शन न आए, ऐसा कैसे हो सकता है? अभी तो कोल इंडिया की वजह से बाजार में रवानगी बची हुई है। इसके आईपीओ का मूल्य मंगलवार, 12औरऔर भी

हमें यकीन नहीं था कि बाजार खुद को ऊपरी स्तर पर टिकाए रख पाएगा, फिर भी हमने शॉर्ट सौदे काटने को क्यों कहा? यह एक बड़ा सवाल है और आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यों है? तो जवाब है कि बारिश ने भारत की विकासगाथा को धुंधला कर दिया है। राष्ट्रमंडल खेलों की भयंकर खामियों व घपलों ने विदेश में भारत और भारतीय राजनीति की छवि को दागदार बना दिया है। अभी देश के जीडीपी कीऔरऔर भी