निराशावाद का साया बाजार से हटने को राजी नहीं है। हवा फैलाई जा रही है कि निफ्टी 5000 या 4800 तक भी जा सकता है क्योंकि वह 200 दिनों के मूविंग औसत (डीएमए) को नीचे में तोड़ चुका है। आज सुबह 10 बजे निफ्टी को तोड़कर 5525 तक ले जाया गया। लेकिन बाद में वह 0.43 फीसदी की बढ़त के साथ 5565.05 पर बंद हुआ। इस दौरान ज्यादातर पंटरों ने भी निफ्टी में 5700 की सीरीज की कॉल्स खरीदकर बेच डाली हैं। अगर बीमा प्रीमियम के सिद्धांत के पारंपरिक तर्क के हिसाब से चलें तो बाजार के उस्तादों को फायदा तभी होगा, जब वे इस सीरीज में निफ्टी को 5700 के ऊपर ले जाएंगे।
मार्च के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) का आंकड़ा कल आएगा। बाजार 3.6 फीसदी की उम्मीद लगाए बैठा है, जबकि यह असल में 4 फीसदी हो सकता है। इसलिए तेजी की वजह भी बन सकता है। उसके एक दिन बाद 13 मई की तारीख बड़ी अहम है क्योंकि उस दिन पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे घोषित होंगे, थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की घोषणा होगी और यदि बाजार में ज्यादा शॉर्ट सौदे हुए रहे होंगे तो बाजार चलानेवालों को इसे ऊपर ले जाने का कोई दूसरा बेहतर मौका नहीं मिलेगा।
सेंसेक्स 18,584 पर तब है, जब मूल्यांकन से जुड़े सारे नकारात्मक पहलुओं को गिना जा चुका है। फिर भी जब तक 200 डीएमए का स्तर ऊपर की तरफ नहीं टूटता, तब तक इसके 17,800 तक गिर जाने की गुंजाइश बची हुई है। दरअसल, बाजार में हर कोई इस राय से इत्तेफाक रखता है और कोई वजह नहीं कि वे लांग सौदे करें या दूसरे शब्दों में बढ़ने की उम्मीद के साथ खरीद करें। उन्हें यकीन है कि बाजार में 200 डीएमए को पार करने का माद्दा नहीं है। इस सोच ने उन्हें शॉर्ट सौदों और बिक्री की कॉल्स के पक्ष में ला खड़ा किया है।
लेकिन बाजार जब भी अतिशय निराशावाद से घिरा रहा है, उसने हर बार धंधेबाजों को चौंकाया है। बाजार के खिलाड़ी अच्छी-अच्छी कहानियां बताकर निवेशकों को धता नहीं बता सकते। इसलिए महीने का प्रीमियम संग्रह निकालने का एक ही तरीका है कि कॉल व पुट ऑप्शन का प्रीमियम हजम कर लिया जाए और बाजार इस समय कॉल व पुट से पटा पड़ा है। एक लाख ट्रेडरों में केवल एक ट्रेडर कॉल व पुट सौदों में रिटर्न पा सकता है। बाकी सारे कैश काउंटर की भेंट चढ़ जाते हैं।
मैंने रैनबैक्सी में 462 रुपए पर खरीद की कॉल दी थी। कुछ बुरी खबरें आने के बाद यह गिर गया। लेकिन आज फिर वापस 478.90 रुपए पर पहुंच गया। यही बात अबन ऑफशोर, जेट एयरवेज व डिवीज लैब्स में भी देखी गई है। ये स्टॉक्स गिर रहे हैं, लेकिन फिर तेजी से वापस उठ रहे हैं। यह इस बात का सबूत है कि इनमें बढ़ने का भरपूर दमखम है। आईसीआईसीआई बैंक और इंडिया इनफोलाइन इस समय बहुत कमजोर काउंटर दिख रहे हैं। हेजिंग करने के लिए ये दोनों आदर्श ठिकाने हो सकते हैं।
हमने एसकेएस माइक्रो फाइनेंस के शेयरों की गिरावट के बारे में सेबी की जांच की बात सुनी। यह भी सुना कि हेज फंड विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों (एफसीसीबी) के डिफॉल्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा रहे हैं क्योंकि वे निशीथ देसाई जैसे बड़ी व महंगी लॉ फर्म की सेवाएं ले सकते हैं। लेकिन विंडसर मशींस का क्या होगा? यहां आम निवेशकों को कौन बचाएगा? क्या इस पर सेबी कुछ करेगी क्योंकि हमने सुना है कि कोई वकील सेबी और वित्त मंत्रालय के पास शिकायत लेकर पहुंच चुका है। प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत पर भरोसा रखते हुए हम आशा करते हैं कि शायद अगले कुछ दिनों में हमें अपने सवालों का उत्तर मिल जाए।
खैर, अभी तो मैं यही कहूंगा कि इधर या उधर, किसी भी तरफ के ट्रेड को काबू में रखें। पर्याप्त बचाव या हेजिंग करके चलें और जहां कहीं भी संभव हो, मुनाफा बटोरने की कोशिश करते रहें।
हम सभी को मरना है। हमारा लक्ष्य हमेशा के लिए जीना नहीं, बल्कि ऐसा कुछ करके जाना है जो हमेशा के लिए अमर हो जाए।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का paid कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)