जेएसडब्ल्यू एनर्जी: परछाई हुई आधी

हरियाणा के प्रभावशाली और राजनीतिक रूप से दबंग जिंदल परिवार की कंपनी है जेएसडब्ल्यू एनर्जी। इस्पात इंडस्ट्रीज का अधिग्रहण कुछ महीने पहले इसी समूह की कंपनी जेएसडब्ल्यू स्टील ने किया है। सज्जन जिंदल इसके प्रबंध निदेशक हैं। कंपनी का इरादा बिजली बनाने, भेजने और बांटने से लेकर उसकी ट्रेडिंग तक करने का है। 1994 में बनने के सोलह सालों के भीतर ही वह कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान व हिमाचल प्रदेश तक फैल चुकी है। 2000 से बिजली बनाने का काम वह शुरू कर चुकी है।

जेएसडब्ल्यू एनर्जी के पास अभी 1730 मेगावॉट बिजली बनाने की क्षमता है। 1410 मेगावॉट की क्षमता लगाने पर काम चल रहा है। साल 2015 तक यानी, चार साल के भीतर वह 11,390 मेगावॉट की क्षमता स्थापित करने में जुटी हुई है। न तो कंपनी के इरादे में कोई तब्दीली आई, न उसकी योजनाओं में कोई ढील और न ही उसके कोई वित्तीय चपल लगी। फिर भी कंपनी का शेयर (बीएसई – 533148, एनएसई – JSWENERGY) चंद महीनों में अर्श से फर्श पर आ गया। 6 सितंबर 2010 को 136.30 रुपए पर था। ठीक पांच महीने बाद 6 फरवरी 2011 को 68.50 रुपए के न्यूनतम स्तर पर आ गया।

जिस किसी ने भी एफडी से ज्यादा कमाने के चक्कर में जिंदल एनर्जी में सितंबर-अक्टूबर के दौरान निवेश किया होगा, वह तो अपनी पूंजी के सीधे आधी हो जाने से विलाप कर रहा होगा। फरवरी के बाद भी मई तक तीन महीने बीत चुके हैं। फिर भी यह शेयर बीएसई में 70.85 रुपए और एनएसई में 70.75 रुपए पर चल रहा है। शेयर की यह दुर्दशा महज इसलिए हुई है कि बाजार और कारोबारियों की नजर में वह उतर गया है। सिंतबर 2010 में वह 27.33 तक के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हुआ था। अप्रैल 2011 तक घटते-घटते 13.68 के पी/ई अनुपात पर आ गया।

वित्त वर्ष 2010-11 के सालाना नतीजों के अनुसार अकेले दम पर उसका ईपीएस (प्रति शेयर मुनाफा) 5.40 रुपए और समेकित आधार पर 5.13 रुपए है। इस तरह मौजूदा बाजार भाव पर उसका पी/ई अनुपात 12.98 व 13.7 निकलता है। अगर यह शेयर आज भी बाजार की नजरों में चढ़ जाए और सितंबर 2010 का पी/ई अनुपात फिर से हासिल कर ले तो खटाक से 147.50 रुपए पर पहुंच जाएगा। सवाल उठता है कि जो लोग इसे पहले ले चुके हैं, वे अब करें क्या?

सीधा-सा जवाब है – होल्ड करें। मन करे और जेब इजाजत दे तो और खरीदकर अपनी औसत लागत कम कर सकते हैं। नए लोग इसमें बेखटके निवेश कर सकते हैं। एक बात गांठ बांध लें कि शेयर बाजार में निवेश हमेशा लंबे समय में फलता है। दस साल का अंतराल लेकर चलें तो इतिहास बराबर इस सच की तस्दीक करेगा। लेकिन छोटी अवधि में सेंटीमेंट के हिसाब से घट-बढ़ होती रहती है। बिजली समेत पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर देश की अर्थव्यवस्था के लिए अपरिहार्य है। इसलिए देर-सबेर उसे बढ़ना ही है। लेकिन इस समय एनटीपीसी का स्टॉक 17.1, एनएसपीसी का 14.8. पावर ग्रिड कॉरपोरेशन का 19 और टाटा पावर कंपनी का स्टॉक 12.5 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। हां, इतना जरूर है कि रिलायंस पावर का शेयर निवेशकों को इतनी तगड़ी चपत लगाने के बावजूद अब भी 49.2 के पी/ई अनुपात पर मुंह चिढ़ा रहा है।

देखिए, अगर केवल दिन भर की बात करेंगे तो शेयर मूल कंपनी के धंधे की परछाई होते हैं। कंपनी का आकार जस का तस रहने के बावजूद परछाई दोपहर को एकदम गायब तो शाम को एकदम क्षितिज तक लंबी हो जाती है। दूसरी तरफ, लंबे वक्त में शेयर अपनी कंपनी का आईना होते हैं। जैसा आकार, वैसा प्रकार, वैसी छवि। जो ट्रेडर हैं, उन्हें परछाई और परछाई की भी परछाई (डेरिवेटिव्स, एफ एंड ओ) में खेलने दीजिए। हम कंपनी की विकासयात्रा और भारत की विकासगाथा के साथ चलें, इसी में हमारा हित है।

जेएसडब्ल्यू एनर्जी ने वित्त वर्ष 2010-11 में समेकित आधार पर 4294.37 करोड़ रुपए की आय पर 841.82 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। साल भर पहले 2009-10 में उसकी आय 2355.09 करोड़ और शुद्ध लाभ 745.49 करोड़ रुपए था। इस तरह उसकी आय 82.34 फीसदी और शुद्ध लाभ 12.92 फीसदी बढ़ा है। इस दौरान उसका परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) जरूर 57.15 फीसदी से घटकर 42.52 फीसदी पर आ गया है। लेकिन दीर्घकालिक नजरिए से देखें तो इतनी ऊंच-नीच चलती है।

कंपनी की कुल इक्विटी 1640.05 करोड़ रुपए है और उसके पास 4385.35 करोड़ रुपए के रिजर्व हैं। उसकी इक्विटी का 23.28 फीसदी ही पब्लिक के पास है और बाकी 76.72 फीसदी प्रवर्तकों के पास है। इसलिए प्रवर्तकों को अपनी इक्विटी घटाकर 75 फीसदी से नीचे लाने के लिए पूंजी बाजार में जल्दी ही आना पड़ेगा। पब्लिक के हिस्से में से 3.94 फीसदी एफआईआई और 5.94 फीसदी डीआईआई के पास हैं।

नोट करने की बात यह है कि मार्च 2010 से लेकर मार्च 2011 तक की पांचों तिमाहियों में एफआईआई व डीआईआई ने कंपनी में अपना निवेश घटाया है। इस दौरान एफआईआई की हिस्सेदारी 5.06 फीसदी से 3.94 फीसदी और डीआईआई की हिस्सेदारी 7.55 फीसदी से घटकर 5.94 फीसदी पर आई है। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 1,51,970 है। उसके बड़े शेयरधारकों में एलआईसी (4.91 फीसदी), स्टील ट्रेडर्स (3.62 फीसदी), इंडस कैपिटल ग्रुप (2.98 फीसदी) और इटॉन पार्क इंटरनेशनल (1.07 फीसदी) शामिल हैं।

2 Comments

  1. Sir aapko kin shabdo me sukriya ada karu samajh nahi aa raha, sach kahu toh maine umeed nahi kiya tha ke mujh jaise chote investor ke sawaal(JSWENERGY) ko aap itna importance denge aur itna jaldi jawab denge par aapne diya,aur shayad yahi kaaran hai ke aaj Arthkaam itna famous ho raha hum sab ke bich. Ab mujhe is share pe decision lene me asani hogi…Bhagwaan hamesha aapka sath de aur aapka bhala kare…Aapka subhchintak- Abhijeet Mitra.

  2. मुझे भी अनुग्रहित करें चक्री महोदय …..

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