बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) ने आज 1 फरवरी से स्टॉक फ्यूचर्स व ऑप्शंस में डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग शुरू करने का फैसला किया है। इसका सीधा-सा मतलब है कि एक्सचेंज ने स्टॉक्स डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था लागू कर दी है। बता दें कि पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने 15 जुलाई 2010 को ही एक सर्कुलर जारी कर स्टॉक एक्सचेंजों को डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था लागू करने की इजाजत दे रखी है।औरऔर भी

इनफोसिस के पहली तिमाही के नतीजे उत्साह बढ़ानेवाले नहीं थे। लेकिन इसने बाजार का मूड नहीं बिगाड़ा। वैश्विक फंड भारत के बारे में ज्यादा से ज्यादा तेजी की धारणा अपनाते जा रहे हैं। आज ही इनमें से कुछ ने समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग को दिए गए इंटरव्यू में अपनी यह सोच जाहिर की है। हम भी बराबर इसी सोच पर कायम है। कितने अफसोस की बात है कि निफ्टी जब 4800 पर था तब आप मंदड़ियों की सुनऔरऔर भी

जब आप दुखी होकर बताते हैं कि बजाज हिंदुस्तान का शेयर ठीक से नहीं चला और नतीजतन नुकसान उठाना पड़ा, तब हमें आपकी ट्रेडिंग के तरीके को लेकर अफसोस होता है। एक बात हमेशा ध्यान रखे कि ए ग्रुप की ट्रेडिंग कोई विज्ञान नहीं है और उद्योग के महारथी तक इसमें घाटा उठाते हैं। इसलिए इसमें हमेशा स्टॉप लॉस लगाकर चलना चाहिए। लेकिन हमें इससे भी ज्यादा अफसोस तब होता है जब आप श्राडेर डंकन जैसे स्टॉकऔरऔर भी

पानी की कीमत तो प्यासा ही जानता है। उसी तरह ज्ञान की असली जरूरत और भूख निवेशक समझता है। ट्रेडर की तुलना तो अधिक से अधिक उस बंदर की जा सकती है जो इस डाल से उस डाल, इस पेड़ से उस पेड़ पर फुदकता रहता है। वे तो उन बेचारे देहाती लोगों की तरह है जिनके पास दिन के आखिर में बस पैसा होता है और कुछ नहीं। सेरा, एस्ट्रा, एलएमएल, गिलैंडर… और क्या चाहिए हमेंऔरऔर भी

कल और आज में कुछ खास नहीं बदला है। बाजार के ऊपर रहने की कोई वजह नहीं थी। लेकिन हुआ यह कि डे ट्रेडरों ने अमेरिकी बाजार की हालत पस्त देखकर एकदम निचले स्तर पर शॉर्ट सेलिंग कर ली और फिर कवरिंग के चक्कर में उल्टी धारा में फंस गए। निफ्टी को करेक्शन के साथ 5140 तक जाना चाहिए ताकि बाजार ज्यादा सार्थक और स्वस्थ स्तरों पर आ सके। हमें कोई भी नई खरीद करने से पहलेऔरऔर भी

ए ग्रुप के शेयर अब थोड़ा आराम करेंगे और इनमें से वही विशेष शेयर चलेंगे जिनमें कोई नया समाचार आएगा। बाजार के स्टार परफॉर्मर होंगे अब बी ग्रुप के शेयर। गिलैंडर्स, गल्फ ऑयल और विमप्लास्ट जैसे शेयरों में वोल्यूम का धमाका हो सकता है। हो सकता है जब साल भर बाद इन शेयरों के मूल्य कई गुना हो जाएं तब आप वीआईपी की तरह बात करेंगे और एफआईआई खरीदार होंगे। इस समय तो ऑपरेटरों ने इनके बाजारऔरऔर भी

ब्याज दरें नहीं बढ़ीं तो जैसी कि उम्मीद थी, बाजार एक नई ऊंचाई की तरफ बढ़ रहा है। अब यह पक्का है कि निफ्टी 5500 और 5700 का स्तर छू लेगा। ए ग्रुप के शेयरों में वापसी तुलनात्मक रूप से धीमी रहेगी। आप ही देखिए कि जीटीएल इंफ्रा में इतनी बड़ी खबर आने के बावजूद शेयर 54.40 तक जाने के बाद 47 रुपए के आसपास बंद हुआ। हालांकि इस स्टॉक में दीर्घकालीन संभावना अब भी बरकरार है।औरऔर भी

आखिरकार रोलओवर जाते-जाते थोड़ी तकलीफ दे ही गया। हालांकि निफ्टी खुद को 5300 के स्तर पर टिकाए रखने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसमें दम नहीं दिख रहा। वैसे तो हमने कल ही शॉर्ट कॉल (बेचने की सलाह) हटा दी थी, लेकिन निफ्टी के 5140 पर जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इसी के मद्देनजर हमने कुछ ऐसी लांग कॉल (खरीदने की सलाह) दी हैं जिन्हें सबसे ज्यादा रक्षात्मक माना जाता है। जोऔरऔर भी

शायद आपको नहीं पता होगा कि एलनेट टेक्नोलॉजीज तमिलनाडु सरकार की कंपनी है। इसमें तमिलनाडु सरकारी की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी एलकॉट (इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ तमिलनाडु लिमिटेड) की 51.48 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी है। इसके शेयर में इधर जबरदस्त हलचल शुरू हो चुकी है। कारण यह है कि कंपनी की सालाना आमसभा (एजीएम) 21 जुलाई को है जिसमें तीन बड़े फैसले लिए जाने की उम्मीद है। एक, यह तारामनी में अपनी 800 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी बेच सकतीऔरऔर भी

एक बार फिर यह बात साबित हो गई कि ज्यादातर ट्रेडर और निवेशक अपना दिमाग ही इस्तेमाल नहीं करते। वे बिजनेस चैनलों पर आनेवाले मुट्ठी भर एनालिस्टों की बातों पर यकीन करके गुमराह हो जाते हैं। असल में ये लोग ट्रेडरों और निवेशकों का एकदम ब्रेन-वॉश कर देते हैं। जब कंप्यूटर पर पंचिंग की एक गलती से रिलायंस को झटका लगा और बाजार (सेंसेक्स) 400 अंक गिर गया तो अधिकांश एनालिस्ट कहने लगे कि अब तो बाजारऔरऔर भी