वैलिएंट की कॉल दिखा रही है रंग

ब्याज दरें नहीं बढ़ीं तो जैसी कि उम्मीद थी, बाजार एक नई ऊंचाई की तरफ बढ़ रहा है। अब यह पक्का है कि निफ्टी 5500 और 5700 का स्तर छू लेगा। ए ग्रुप के शेयरों में वापसी तुलनात्मक रूप से धीमी रहेगी। आप ही देखिए कि जीटीएल इंफ्रा में इतनी बड़ी खबर आने के बावजूद शेयर 54.40 तक जाने के बाद 47 रुपए के आसपास बंद हुआ। हालांकि इस स्टॉक में दीर्घकालीन संभावना अब भी बरकरार है।

यही वो खबर थी जो सीएनआई की टीम महीनों से सीने से लगाकर बैठी थी और जिसके आधार पर हम अपने एफआईआई ग्राहकों को यह स्टॉक खरीदने की सलाह दे रहे थे। इसमें कोई शक नहीं कि इस खबर को सामने आने में आठ महीने से ज्यादा का वक्त लग गया, लेकिन दीर्घकालिक निवेशकों के लिए इतना इंतजार तो सामान्य बात है। हमने इस स्टॉक को तब खरीदने की सलाह देनी शुरू की थी, जब यह 28 रुपए पर था। आज यह 47 रुपए के ऊपर है। भरोसे और इंतजार का फल मीठा ही होता है।

हमारी मार्केट रिसर्च टीम ने शुक्रवार को वैलिएंट कम्युनिकेशंस में खरीद की कॉल दी थी, जब इसका भाव 30 रुपए था। किसी ने इसे तवज्जो नहीं दी। स्टॉक 35 रुपए तक जाने के बाद 32.80 रुपए पर बंद हुआ और आज यह भारी वोल्यूम के साथ अपर सर्किट को छू गया। इसके बाद दिन भर 35.50 रुपए पर रहा। चर्चा है कि आरआईएल ने वैलिएंट कम्युनिकेशंस की सब्सिडियरी वैलिएंट इंफ्रा में 41 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी खरीद ली है। ओरियॉन के भी हिस्सा बढ़ाने का कयास है। ऐसे में यह शेयर 150 रुपए तक जा सकता है। खैर, ये आगे की बात है। अभी तो इस मुद्दे पर गौर कीजिए कि 1000 या इससे भी कम वोल्यूम वाला स्टॉक 6 लाख शेयरों का वोल्यूम हासिल कर सकता है, इस बात ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हमें स्टॉक को तब खरीद लेना चाहिए जब उसमें वोल्यूम ही न हो।

असल में हमें फंडामेंटल देखने चाहिए, न कि वोल्यूम। लेकिन हम न तो स्टॉक को समझना चाहते हैं और न ही पहला इशारा मिलते ही उसमें निवेश करते हैं। हम तो वोल्यूम के चक्कर में पड़े रहते हैं। नतीजा यह होता है कि हम उसे तब खरीदते हैं जब वह काफी ऊपर पहुंच चुका होता है। फिर सवाल आता है कि मैंने वैलिएंट को 38 रुपए पर खरीदा है, अब क्या करूं? क्या लक्ष्य हासिल हो सकेगा? इस तरह के सवाल तभी आने लगते हैं जब निर्धारित समय पूरा नहीं हुआ होता है। तो, ऐसे में खुद ही तय कर लें कि आप क्या चाहते हैं…

मेरे विचार से बी ग्रुप के शेयरों में दौड़ शुरू हो चुकी है। ऐसे में अगर आप ए ग्रुप के शेयरों में अपना मार्जिन फंसाकर रखेंगे तो बी ग्रुप की रैली से चूक जाएंगे जो हमेशा ज्यादा जोरदार होती है और जल्दी कमाई कराती है। आप अपने स्टॉक खुद चुन सकते हैं जो ऑपरेटरों के मामले में ज्यादा वोल्यूम वाले स्टॉक हो सकते हैं।

जहां तक ए ग्रुप की बात है तो मैं तो थ्री ईडियट्स को चुनूंगा और ये थ्री ईडियट हैं – आइडिया, आईडीएफसी और आईएफसीआई। फिलहाल तो चौथे ईडियट के लिए कोई जगह नहीं है और हम माकूल वक्त आने पर ही इसकी शिनाख्त करेंगे। आपका पैसा बगैर किसी जोखिम के ऋण प्रपत्रों में एकदम सुरक्षित रहता है। लेकिन आप ऋण प्रपत्रों के लिए नहीं बने हैं, उसी तरह जैसे कोई जहाज हार्बर में पड़े रहने के लिए नहीं होता।

जहाज हार्बर में एकदम सुरक्षित होता है, लेकिन जहाज इसके लिए तो बने नहीं होते।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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