एफ एंड ओ में फिजिकल सेटलमेंट, बीएसई ने एनएसई पर बाजी मारी

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) ने आज 1 फरवरी से स्टॉक फ्यूचर्स व ऑप्शंस में डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग शुरू करने का फैसला किया है। इसका सीधा-सा मतलब है कि एक्सचेंज ने स्टॉक्स डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था लागू कर दी है। बता दें कि पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने 15 जुलाई 2010 को ही एक सर्कुलर जारी कर स्टॉक एक्सचेंजों को डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था लागू करने की इजाजत दे रखी है। लेकिन उसने अंतिम फैसला एक्सचेंजों पर छोड़ दिया था कि वे डेरिवेटिव सौदों में कैश सेटलमेंट की मौजूदा व्यवस्था जारी रखें या फिजिकल सेटलमेंट को अपना लें।

बीएसई ने इस संबंध में जारी की गई सूचना में कहा है, “1 फरवरी 2011 से ऐसे सभी मौजूदा सिंगल स्टॉक फ्यूचर्स व ऑप्शंस कांट्रैक्ट डिलीवरी आधारित होंगे, जो 13 अप्रैल 2011 (अप्रैल माह की सेटलमेंट एक्सपायरी तिथि) या उसके बाद एक्सपायर हो रहे हैं। लेकिन 10 फरवरी और 17 मार्च 2011 (फरवरी व मार्च माह की सेटलमेंट एक्सपायरी तिथि) को एक्सपायर होनेवाले कांट्रैक्ट अभी की तरह कैश में ही सेटल किए जाएंगे।” अंतिम सेटलमेंट कांट्रैक्ट की एक्सपायरी तिथि के तीन दिन बाद किया जाएगा।

बीएसई का कहना है कि सिंगल स्टॉक फ्यूचर्स कांटैक्ट में सारी ओपन पोजिशंस को एक्सपायरी पर डिलीवरी के जरिए सेटल करना होगा। वहीं सिंगल स्टॉक ऑप्शंस कांट्रैक्ट में सभी ओपन पोजिशंस का हश्र एक्सपायरी तिथि पर खरीदनेवाले के फैसले से निर्धारित होगा। दूसरे शब्दों में एक्सपायरी के दिन ऐसे सौदों में ऑटोमेटिक तौर पर कुछ भी नहीं होगा।

जाहिरा तौर पर बीएसई में इंडेक्स फ्यूचर्स व ऑप्शंस कांटैक्ट में कैश सेटलमेंट की व्यवस्था ही जारी रहेगी। वैसे भी सूचकांक आधारित डेरिवेटिव प्रपत्र होने के कारण इनका कोई भौतिक स्वरूप तो होता नहीं जिनकी डिलीवरी ली या दी जा सके। बीएसई ने स्टॉक डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट के बारे में स्टॉक स्प्लिट से लेकर बोनस जैसे हर नुक्ते को ध्यान में रखते हुए लंबा-चौड़ा नोटिस जारी किया है, जिसमें एक-एक नियम की उदाहरण सहित व्याख्या की गई है।

लेकिन लंबे समय से डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था लागू करने की वकालत करनेवाली लिस्टेड कंपनी सीएनआई रिसर्च के सीएमडी किशोर ओस्तवाल इसे सांकेतिक कदम ही मानते हैं। उनका कहना है कि बीएसई में डेरिवेटिव सौदों का वोल्यूम तो है ही नहीं। जैसे, कल बीएसई में एफ एंड ओ में हुआ कारोबार ‘निल बटे सन्नाटा’ रहा है। वहीं एनएसई में एफ एंड ओ सेगमेंट में हुआ कुल कारोबार 1,20,060.02 करोड़ रुपए का रहा है।

इसलिए जानकार लोग स्टॉक फ्यूचर्स व ऑप्शंस में फिजिकल सेटलमेंट लागू करने के बीएसई के कदम को डेरिवेटिव सौदों का कुछ हिस्सा अपनी तरफ खींचने की कसरत भर मानते हैं। उनका कहना है कि भारतीय शेयर बाजार में डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट का कोई मतलब तभी होगा, जब एनएसई इसे लागू करता है। और, एनएसई बीएसई के फैसले या सेबी के निर्देश से अभी तक तनिक भी विचलित होता नहीं दिख रहा है।

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