जो लोग सच को सूत्रों में फिट करते हैं, वर्तमान को पूरी जटिलता के साथ समझे बगैर ही बदलने की बात करते हैं, वे कोरे लफ्फाज़ हैं, क्रांतिकारी नहीं। वे समाज की चक्रवाती भंवर से निकले झाग हैं। उनसे किसी सार्थक काम की उम्मीद बेमानी है।और भीऔर भी

दुनिया में कुछ भी स्थाई नहीं। न मौसम और न ही सरकार। ज़िंदगी में भी कुछ स्थाई नहीं। न सुख और न ही दुख। सब कुछ निरंतर बदलता रहता है। इसलिए जीवन में सफलता से आगे बढ़ने का एक ही तरीका है कि हम इस सच को स्वीकार कर लें।और भीऔर भी

लंबे समय तक किसी गफलत में जीना न खुद के लिए अच्छा है और न ही औरों के लिए। धीरे-धीरे झलकने लगता है कि हम कितने भ्रम में पड़े हुए थे। लेकिन अपनी जिद और जड़ता के कारण हम सच को स्वीकार करने से भागते रहते हैं।और भीऔर भी

हमें अपने इर्दगिर्द हमेशा ऐसे लोगों की जरूरत होती है जो हमारी आंखों में आंखें डालकर सच बोल सकें। खासकर तब, जब हमारे दिन खराब चल रहे हों और हम बार-बार अपने लक्ष्य से चूक रहे हों।और भीऔर भी

बाजार में ऑपरेटरों का आज जैसा कमाल सर्कस मैंने कभी-कभार ही देखा है। जब बहुत सारे स्टॉक्स गिरते जा रहे थे, तब वे जबरदस्ती के कुछ लांग सौदों के जरिए निफ्टी को संभालने में लगे रहे। फिर भी उनकी पीठ थपथपाई जानी चाहिए क्योंकि वे अपने मकसद में कामयाब रहे। आखिर सेंसेक्स व निफ्टी को मैनेज करना कोई हंसी-मजाक नहीं है! निफ्टी आज 0.65 फीसदी बढ़कर 5269.90 और सेंसेक्स 0.76 फीसदी बढ़कर 17,431.85 पर बंद हुआ है।औरऔर भी

डेरिवेटिव सौदों में कैश सेटलमेंट के चलते बाजार कैसे हिल जाता है, इसके लिए मुझे नहीं लगता कि आपको अब किसी और प्रमाण की जरूरत है। जो बाजार पिछले सेटलमेंट में ज़रा-सा झुकने को तैयार नहीं था, वह नए सेटलमेंट के दूसरे ही दिन ताश के पत्तों की तरह ढह गया। निफ्टी गिरने लगा तो गिरते-गिरते अंत में 2.26 फीसदी की गिरावट के साथ 5087.30 पर बंद हुआ। यूं तो अभी और भी बहुत कुछ होना है।औरऔर भी

भावुक होना जरूरी है क्योंकि महज बुद्धि के दम पर हम सच तक नहीं पहुंच सकते। लेकिन बुद्धि को कभी इतनी दूर घास चरने नहीं भेज देना चाहिए कि किसी को हमारी भावनाओं से खेलने का मौका मिल जाए।और भीऔर भी

बड़ा आसान है निष्कर्षों में सच को फिट करके संतुष्ट हो जाना। लेकिन सच से निष्कर्षों को निकालना उतना ही मुश्किल है क्योंकि अपने करीब पहुंचते ही सच खटाक से नई-नई परतें खोलने लग जाता है।और भीऔर भी

जब चील गुरुत्वाकर्षण को तोड़ दूर गगन से धरती का निरीक्षण कर सकती है, इंसान जब हज़ारों मील ऊपर जहाज उड़ा सकता है, तब हम अपने अहम व पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर सच को क्यों नहीं देख सकते।और भीऔर भी

इस समूची सृष्टि में हर सीधी रेखा किसी न किसी बड़े वक्र का हिस्सा होती है। अगर लगता है कि कोई चीज सीधी रेखा में चल रही है तो वो अल्पकालिक सच है। दीर्घकाल में हर चीज चक्र में ही चलती है।और भीऔर भी