राजीव गांधी इक्विटी सेविंग्स स्कीम की सारी खानापूरी हो चुकी है। 23 नवंबर को वित्त मंत्रालय ने गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया और 6 दिसंबर को पूंजी बाजार नियामक, सेबी ने सर्कुलर जारी कर दिया। इन दोनों को पढ़कर आप स्कीम के सारे नुक्तों से वाकिफ हो सकते हैं। सबसे खास बात यह है कि ये उन बचतकर्ताओं के लिए है जिन्होंने अभी तक शेयर बाजार में निवेश नहीं किया है। हालांकि इसमें वे निवेशक भी शामिलऔरऔर भी

जिस सरकार को आमतौर पर कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक आम आदमी के मानवाधिकारों की खास फिक्र नहीं रहती, उसे विदेश में काला धन रखनेवाले खास भारतीयों के मानवाधिकारों के उल्लंघन की भारी चिंता सता रही है। सोमवार को वित्त मंत्रालय की तरफ से कालेधन पर संसद में पेश श्वेतपत्र में कहा गया है कि सरकार ने दुनिया के जिन देशों के साथ दोहरा कराधान बचाव करार (डीटीएए) या कर सूचना विनिमय करार (टीआईईए) कर रखे हैं,औरऔर भी

रिजर्व बैंक से लेकर वित्त मंत्रालय तक पिछले कई सालों से वित्तीय समावेश का ढिढोरा पीट रहा है। लेकिन आंकड़ों और घोषणाओं से परे विश्व बैंक की एक ताजा सर्वे रिपोर्ट कुछ और ही हकीकत बयां करती है। बताती हैं कि हम अब भी दुनिया से कितना पीछे हैं। विश्व बैंक की तरफ से कराए गए इस अध्ययन से पता चलता है कि भारत में 35 फीसदी लोगों के पास ही बैंक खाते हैं, जबकि दुनिया काऔरऔर भी

सरकार ने शुक्रवार को 586.14 करोड़ रुपए के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के 22 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) द्वारा 30 मार्च 2012 की बैठक की गई सिफारिशों के बाद ही इन प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। एफडीआई को एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेश) या पोर्टफोलियो निवेशक की तुलना में ज्यादा अच्छा माना जाता है। इसमें सबसे बड़ा निवेश प्रस्ताव शांता बायोटेक्निक्सऔरऔर भी

एक तरफ ब्रिटिश कंपनी, वोडाफोन पांच साल पहले भारत में किए गए अधिग्रहण पर 11,000 करोड़ रुपए का टैक्स देने से बचने के लिए दुनिया भर में लॉबीइंग करवा रही है, वैश्विक व्यापार व उद्योग संगठनों से बयान दिलवा रही है, दूसरी तरफ भारत सरकार उस पर टैक्स लगाने के अपने इरादे पर डटी है। इस साल के बजट में वित्त मंत्री ने आयकर कानून में पिछली तारीख से लागू होनेवाला ऐसा संशोधन किया है जिससे भारतऔरऔर भी

भले ही मार्च में ओएनजीसी के 5 फीसदी शेयरों की नीलामी में केंद्र सरकार की काफी फजीहत हुई हो, लेकिन चालू वित्त वर्ष 2012-13 में 30,000 करोड़ रुपए के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए वह मुख्य रूप से नीलामी का ही तरीका अपनाएगी। वित्त मंत्रालय में विनिवेश विभाग के प्रमुख, मोहम्मद हलीम खान ने सोमवार को समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत के दौरान कहा, “जब आप एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) लाते हैं तो संबंधित कंपनीऔरऔर भी

कहा जाता है कि झूठ तीन तरह के होते हैं – झूठ, शापित झूठ और आंकड़े। इसमें अगर आंकड़े भी खुद झूठे निकल जाएं तो झूठ की तो पराकाष्ठा हो जाती है। मामला कोढ़ में खाज का हो जाता है। गुरुवार को ऐसा ही हुआ, जब सरकार ने फरवरी के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आंकड़ों को जारी करने के साथ ही बताया कि उसने जनवरी में आईआईपी के 6.8 फीसदी बढ़ने की जो बात कही थी,औरऔर भी

महीने भर पहले जब ओएनजीसी में सरकार के पांच फीसदी हिस्से को खरीदने का ठींकरा देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी के माथे पर फोड़ा गया था, तब बड़ा हल्ला मचा था कि इससे तो एलआईसी का हश्र भी किसी दिन यूटीआई जैसा हो जाएगा। लेकिन ताजा साक्ष्य इस बात की गवाही देते हैं कि एलआईसी ने भले ही ओएनजीसी के ऑफर फॉर सेल को सरकार के दबाव में बचाया हो। पर, वह खुद भी निवेशऔरऔर भी

सरकार ने सभी लघु बचत स्कीमों और पीपीएफ (पब्लिक प्रोविडेंट फंड) पर निवेशकों को मिलनेवाली ब्याज की दर 1 अप्रैल 2012 से बढ़ा दी है। वित्त मंत्रालय की तरफ से सोमवार को जारी सूचना में कहा गया है कि आगे से हर वित्त वर्ष की शुरुआत, यानी 1 अप्रैल से पहले लघु बचत स्कीमों की ब्याज दर को अधिसूचित कर दिया जाएगा। सरकार ने यह कदम रिजर्व बैंक की पूर्व गवर्नर श्यामला गोपीनाथ की अध्यक्षता में बनीऔरऔर भी

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी ताजा सूचना के मुताबिक 17 मार्च 2012 से सोने का टैरिफ मूल्य 573 डॉलर प्रति दस ग्राम कर दिया गया है जो पहले जितना ही है। उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। वहीं चांदी का टैरिफ मूल्य बदलकर 1036 डॉलर प्रति किलोग्राम कर दिया है। दिक्कत यह है कि इससे ठीक पहले 31 जनवरी 2012 की अधिसूचना के मुताबिक सोने का टैरिफ मूल्य 556 डॉलर प्रति दस ग्राम और चांदी का टैरिफऔरऔर भी