यह शेयर बाजार है प्यारे। यहां बड़ा अजब-गजब चलता रहता है। चांदी भले ही इधर पिटने लगी हो, लेकिन सोने की चमक अभी बाकी है। फिर भी सोने के धंधे में लगी कंपनियों को बाजार से कायदे का भाव नहीं मिल रहा। ज्यादातर कंपनियों के शेयर इस समय 10 से कम के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहे हैं। जैसे, गीतांजलि जेम्स का पी/ई अनुपात इस समय 7, श्रीगणेश ज्वैलरी का 5.9, सु-राज डायमंड्स का 2.8, वैभवऔरऔर भी

किसी कंपनी के होने का मूल मकसद होता है नोट बनाना और कंपनी को स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्ट कराने का मकसद होता है, उसके स्वामित्व को जनता में बिखेर कर पूंजी की सुलभता व लाभ सुनिश्चित करना और कमाए गए लाभ को लाभांश या अन्य तरीकों से अपने शेयरधारकों तक पहुंचाना। अगर कोई लिस्टेड कंपनी लाभ नहीं कमा रही है तो उसके शेयरों में मूल्य खोजना खुद को धोखे में रखना या भयंकर रिस्क लेना है। किसीऔरऔर भी

एम्फैसिस बड़ी ठसक वाली कंपनी है। नाम तक सीधे नहीं लिखती। खुद को MphasiS लिखती है। लेकिन नाम से क्या! हमें तो काम से मतलब है। मुख्यतः बीपीओ (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग) और रिमोट इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट या इंफ्रास्ट्रक्चर टेक्नोलॉजी आउटसोर्सिंग (आईटीओ) सेवाओं सक्रिय है। दुनिया के 14 देशों में 29 ऑफिस हैं। धंधा अच्छा करती है। लेकिन उसका वक्त अभी अच्छा नहीं चल रहा है। पिछले कुछ महीनों से एडेलवाइस जैसी देशी और सीएलएसए जैसी विदेशी निवेश फर्मेंऔरऔर भी

रिलायंस इंडस्ट्रीज को कावेरी बेसिन के गहरे समुद्री ब्लॉक में पहले ही कुएं की खुदाई में प्राकृतिक गैस का बड़ा भंडार मिल गया है। कंपनी ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा कि उसे कावेरी-पलार बेसिन में के ब्लॉक सीवीआईपीआर-डी6 में गैस का प्रचुर भंडार मिला है। यह ब्लॉक लगभग 8600 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला है। इसे नई एक्प्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी (एनईएलपी) के तहत तीसरे दौर की नीलामी में रिलायंस को दिया गया था। कंपनी नेऔरऔर भी

देश की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्यातक कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) भारत में कार्यरत कर्मचारियों का वेतन इस साल 12 से 14 फीसदी बढ़ाने पर विचार कर रही है। विकसित देशों में यह वृद्धि 2 से 4 फीसदी और उभरते देशों में 2 से 14 फीसदी रह सकती है। यह कहना है कि कंपनी के सीईओ एन चंद्रशेखरन का। गुरुवार को मुंबई में कंपनी के चौथी तिमाही व सालाना नतीजों की घोषणा के बाद चंद्रशेखरन ने मीडियाऔरऔर भी

बाजार में मिड कैप स्टॉक्स की चर्चा जोरशोर से चल पड़ी है। हर 5 सेकंड पर कोई न कोई सूचना आ जाती है और इनमें से ज्यादातर खबर बन जाती हैं। यह न केवल बाजार के लिए, बल्कि निवेशकों के लिए भी शुभ संकेत है। बी ग्रुप के शेयरों में रैली शुरू हो गई है। उन तमाम रिटेल निवेशकों को अब इनसे निकलने का मौका मिल जाएगा जिन्होंने इन्हें ऊंचे भाव पर खरीदा था। दरअसल, यह एकऔरऔर भी

टीसीएस के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्यातक कंपनी इनफोसिस टेक्नोलॉजीज ने नए वित्त वर्ष 2011-12 के लिए उम्मीद के अनुरूप डॉलर में आय के 18 से 20 फीसदी बढ़ जाने का अनुमान पेश किया, वित्त वर्ष 2010-11 में उसकी आय भी 20.9 फीसदी बढ़ गई है। फिर भी कुछ ऐसी चीजें हो गईं जो बाजार को रास नहीं आईं। सो, उसका शेयर शुक्रवार को बीएसई में 9.59 फीसदी गिरकर 2988.80 रुपए और एनएसई मेंऔरऔर भी

ईसाब इंडिया ने अपना कामकाज 1987 से शुरू किया। लेकिन इसकी कहानी 1904 में स्वीडन के शहर गोथेनबर्ग से तब शुरू हुई थी जब जहाजों व बॉयलरों पर काम कर रहे एक इंजीनियर ऑस्कर केलबर्ग ने पाया कि वहां रिपेयर के काम की क्वालिटी अच्छी नहीं है। बेहतर टेक्नोलॉजी की तलाश में केलबर्ग ने दुनिया के पहले कवर्ड इलेक्ट्रोड का आविष्कार कर डाला। वहीं से पैदा हुआ ईसाब (Elektriska Svetsnings Aktie Bolaget या ESAB) समूह जो इसऔरऔर भी

फंडामेंटल अमूमन शॉर्ट टर्म या छोटी अवधि में नहीं चलते और टिप्स ज्यादातर लंबी अवधि में नहीं चलतीं। इसलिए टिप्स के पीछे ट्रेडर भागते हैं, जबकि निवेशकों को हमेशा कंपनी का मूलाधार या फंडामेंटल्स देखकर ही निवेश करना चाहिए। लेकिन शेयर बाजार से कमाई वही लोग कर पाते हैं तो समय पर बेचने की कला सीख लेते हैं। यह कला अभ्यास, अनुभव और लक्ष्य बांधने से आती है। अक्सर ऐसा होता है कि कोई शेयर 45 फीसदीऔरऔर भी

तमिलनाडु न्यूजप्रिंट एंड पेपर्स लिमिटेड का शेयर (बीएसई – 531426, एनएसई – TNPL) साल भर पहले 8 फरवरी 2010 को 83.30 रुपए पर था। अब 4 फरवरी 2011 को 131.70 रुपए पर बंद हुआ है। इस दरमियान यह ऊपर में 163.30 रुपए (28 अक्टूबर 2010) और नीचे में 77.05 रुपए (24 फरवरी 2010) पर जा चुका है। इस तरह इसमें निवेश पर साल भर में 58.1 फीसदी से लेकर 96.03 फीसदी कमाया जा सकता था। इसमें भीऔरऔर भी