इंद्रप्रस्थ गैस: भर लें और भूल जाएं

फंडामेंटल अमूमन शॉर्ट टर्म या छोटी अवधि में नहीं चलते और टिप्स ज्यादातर लंबी अवधि में नहीं चलतीं। इसलिए टिप्स के पीछे ट्रेडर भागते हैं, जबकि निवेशकों को हमेशा कंपनी का मूलाधार या फंडामेंटल्स देखकर ही निवेश करना चाहिए। लेकिन शेयर बाजार से कमाई वही लोग कर पाते हैं तो समय पर बेचने की कला सीख लेते हैं। यह कला अभ्यास, अनुभव और लक्ष्य बांधने से आती है। अक्सर ऐसा होता है कि कोई शेयर 45 फीसदी बढ़ चुका होता है तो हम सोचते हैं कि यह कम से कम 50 फीसदी बढ़ जाए, तब बेचें ताकि आधे शेयरों की लागत निकल आए। लेकिन वो गिरता-गिरता 20 फीसदी बढ़त तक आ जाता है तो हम पछताने लगते हैं। होता है। यह इंसान का मनोविज्ञान है। इसलिए बाजार में निवेश से फायदा कमाने के लिए हमें अपने मनोविज्ञान को भी साधना पड़ता है।

चलिए, इन ‘मौलिक ज्ञान’ के बाद असली चर्चा पर आया जाए। इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (बीएसई – 532514, एनएसई – IGL) नए साल के पहले ही कारोबारी दिन 3 जनवरी को 374 रुपए पर 52 हफ्ते का शिखर बनाने के बाद नीचे ही नीचे चला जा रहा है। हालांकि कल बीएसई में 0.99 फीसदी की बढ़त लेकर 316.15 रुपए पर बंद हुआ है। ए ग्रुप का शेयर है, बीएसई – 500 सूचकांक में शामिल है तो इस पर कोई सर्किट ब्रेकर नहीं लगता। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर शुद्ध लाभ) 17.29 रुपए है। इस तरह इसका शेयर अभी 18.28 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। शेयर की बुक वैल्यू 72.58 रुपए है। साफ है कि यह कोई बहुत सस्ता शेयर नहीं है। लेकिन हर सस्ती चीज न तो अच्छी होती है और न ही हर महंगी चीज हमेशा खराब होती है।

इंद्रप्रस्थ गैस बड़ी पुख्ता व संभावनामय कंपनी है। 1998 में दो सरकारी कंपनियों गैस अथॉरिटी (गेल) और भारत पेट्रोलियम (बीपीसीएल) ने इस मिलकर बनाया। दोनों की इक्विटी हिस्सेदारी इसमें 22.5 – 22.5 फीसदी है। कंपनी गैस वितरण के धंधे में है। वह ट्रांसपोर्ट सेक्टर को सीएनजी (कंप्रेस्ड नेचुरल गैस), घरों व व्यावसायिक क्षेत्र को पीएनजी (पाइप्ड नेचुरल गैस) और औद्योगिक क्षेत्र को आर-एलएनजी (री-गैसीफाइड लिक्विड नेचुरल गैस) सप्लाई करती है। दिल्ली के अलावा एनसीआर के शहरों तक उनका जाल फैला है।

कंपनी को सारी गैस गेल से मिलती है। इसलिए नेचुरल गैस की सप्लाई में उसे कोई दिक्कत नहीं आती। दूसरे उसने इसके अलावा अतिरिक्त गैस की जरूरत के लिए बीपीसीएल और रिलायंस इंडस्ट्रीज से भी करार कर रखे हैं। कंपनी के गैस स्टेशनों की संख्या मार्च 2009 में 181 थी। यह मार्च 2010 तक बढ़कर 241 पर पहुंच गई। उसने नोएडा, ग्रेटर नोएडा व गाजियाबाद में सीएनजी और पीएनजी का नेटवर्क बढ़ाने के लिए 240 करोड़ रुपए के पूंजी निवेश की योजना बना रखी है।

चालू वित्त वर्ष में दिसंबर 2010 की तिमाही में कंपनी की आय पिछले वित्त वर्ष के 284.61 करोड़ रुपए से 60 फीसदी बढ़कर 457.09 करोड़ रुपए हो गई, जबकि शुद्ध लाभ 58.93 करोड़ रुपए से 14.01 फीसदी बढ़कर 67.19 करोड़ रुपए हो गया। हालांकि इस दौरान कच्चे माल की लागत दोगुनी से ज्यादा होकर 259.87 करोड़ रुपए हो गई। इससे उसका परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) साल भर पहले के 36 फीसदी से घटकर 28.43 फीसदी पर आ गया।

कंपनी बराबर लाभांश देती रही है, कभी दस रुपए अंकित मूल्य के शेयर पर 2.50 रुपए तो कभी 4.50 रुपए। उसने पिछला लाभांश अगस्त 2010 में 4.50 रुपए या 45 फीसदी का दिया है। एक बात साफ है कि कंपनी का धंधा लगातार बढ़ता रहा है और आगे भी बढ़ता रहेगा। यह ऐसे क्षेत्र में है जिसकी मांग लगातार बढ़ती रहेगी। इसलिए कंपनी का विकास सुनिश्चित है। इसमें लंबे समय के लिए निवेश किया जा सकता है। अभी इसका शेयर बहुत महंगा भी नहीं है। इसलिए इसे लेकर अगले कई सालों के लिए भूल जाना चाहिए। बाकी मर्जी आपकी, फैसला आपका।

हां, बाजार की मौजूदा उठापटक के संदर्भ में वॉरेन बफेट का एक वाक्य याद रखना चाहिए कि, “शेयर बाजार दस साल के लिए भी बंद हो जाए तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।” यह होती है दूरगामी निवेश की सोच। रोज-रोज बाजार के उठने-गिरने से परेशान लोग अच्छे निवेशक नहीं बन सकते। पौधे को हर दिन खोद कर देखने से कि जड़ बढ़ी कि नहीं, पौधा बढ़ता नहीं, सूख जाता है।

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