रिलायंस इंडस्ट्रीज को कावेरी बेसिन के गहरे समुद्री ब्लॉक में पहले ही कुएं की खुदाई में प्राकृतिक गैस का बड़ा भंडार मिल गया है। कंपनी ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा कि उसे कावेरी-पलार बेसिन में के ब्लॉक सीवीआईपीआर-डी6 में गैस का प्रचुर भंडार मिला है। यह ब्लॉक लगभग 8600 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला है। इसे नई एक्प्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी (एनईएलपी) के तहत तीसरे दौर की नीलामी में रिलायंस को दिया गया था।
कंपनी ने गुरुवार को ही अपने सालाना और मार्च 2011 की तिमाही के नतीजे घोषित किए हैं। ये नतीजे बाजार की उम्मीद से कमतर रहे हैं। लेकिन कावेरी बेसिन की पहली सफलता ने नतीजों के नकारात्मक असर को खत्म कर दिया है। कंपनी के शेयर बीएसई में 1.39 फीसदी बढ़कर 1039.95 रुपए पर बंद हुए हैं। हालांकि नतीजों और कावेरी में नया गैस भंडार मिलने की घोषणा बाजार बंद होने के बाद हुई है। इसलिए शेयरों के भाव से इन्हें जोड़कर नहीं देखा जा सकता।
कंपनी ने मार्च 2011 की तिमाही में 75,283 करोड़ रुपए के टर्नओवर पर 5376 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हासिल किया है। उसका टर्नओवर पिछले साल की चौथी तिमाही से 25 फीसदी और शुद्ध लाभ 14 फीसदी ज्यादा है। बाजार के लोग 5800 करोड़ रुपए के शुद्ध लाभ की उम्मीद कर रहे थे। हालांकि कंपनी का कहना है कि उसने अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा आय और शुद्ध लाभ हासिल किया है।
पूरे साल की बात करें तो वित्त वर्ष 2010-11 में कंपनी का टर्नओवर 29 फीसदी बढ़कर 2,58,651 करोड़ रुपए हो गया है, जबकि शुद्ध लाभ में 25 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई है और यह 20,286 करोड़ रुपए रहा है। कंपनी का ईपीएस (प्रति शेयर मुनाफा) अब 62 रुपए हो गया है, जो पिछले वित्त वर्ष में 49.7 रुपए था।
कंपनी ने दस रुपए अंकित मूल्य के शेयर पर 8 रुपए (80 फीसदी) लाभांश देने की घोषणा की है। इस समय कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 35,22,118 है। शेयरधारकों की इस भारी संख्या को देखते हुए वह लाभांश पर कुल 2772 करोड़ रुपए खर्च करेगी। लाभांश के लिए कंपनी के रजिस्टर 9 मई से 14 मई तक बंद रहेंगे। यानी, 9 मई से पहले जिन निवेशकों के पास कंपनी के शेयर होंगे और उनका नाम शेयरधारकों की सूची में दर्ज हो चुका होगा, उन्हें ही लाभांश मिलेगा। कंपनी का सालाना आमसभा (एजीएम) 3 जून 2011 को होगी।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास इस समय 42,393 करोड़ रुपए का कैश या इसके समतुल्य रकम है। यह रकम मुख्य रूप से एफडी, सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट, म्यूचुअल फंडों या सरकारी बांडों में निवेशित है। कंपनी ने 29 पन्नों में वित्त वर्ष 2010-11 के कामकाज का पूरा ब्यौरा दिया है।