माहौल जब देश के सबसे अहम सालाना दस्तावेज, बजट के आने का हो, तब खुद को किसी स्टॉक विशेष की चर्चा तक सीमित रखना ठीक नहीं लगता। वैसे भी सिर्फ शेयर या इक्विटी ही निवेश का इकलौता माध्यम नहीं है। आम लोग भी कहां शेयर बाजार में धन लगा रहे हैं! वित्तीय बाजार में उनके पसंदीदा माध्यम हैं निश्चित आय देनेवाले प्रपत्र। मुख्य रूप से एफडी। बांडों में निवेश का मौका मिले तो लोग कतई नहीं चूकते।औरऔर भी

बचत को लगाने का सबसे जोखिम भरा ठिकाना है शेयर बाजार तो वहां से सबसे ज्यादा रिटर्न भी मिलने की संभावना होती है। लेकिन धन डूबकर रसातल में भी जा सकता है। इसलिए कोई भी अपनी सारी बचत शेयर बाजार में नहीं लगाता। दो-तीन महीने की जरूरत भर का कैश अलग रखकर बाकी धन बैंक एफडी से लेकर सोना व प्रॉपर्टी जैसे अपेक्षाकृत सुरक्षित माध्यमों में भी लगाता है। लेकिन निवेश का एक और विकल्प है जिसऔरऔर भी

वित्‍त मंत्रालय ने साफ किया है कि भले ही लघु बचत स्कीमों की ब्‍याज दर को हर साल समतुल्य परिपक्‍वता वाली सरकारी प्रतिभूतियों के साथ जोड़ दिया गया है, लेकिन पीपीएफ (पब्लिक प्रॉविडेंट फंड) को छोड़कर बाकी सभी स्कीमों में निवेश पर ब्याज दरें फिक्‍स रहेंगी, फ्लोटिंग नहीं। सरकारी प्रतिभूतियों की ब्याज दर को बस एक संदर्भ के रूप में लिया जाएगा। असल में मीडिया में इस तरह की खबरें आई थीं कि पहली दिसम्‍बर 2011 सेऔरऔर भी

कल तक हमारे वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी कह रहे थे कि रुपए की हालत विदेशी वजहों से बिगड़ी है और रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन आज शेयर बाजार को लगे तेज झटके से वे ऐसा सहम गए कि बाकायदा बयान जारी कर डाला कि, “रिजर्व बैंक रुपए की हालत पर बारीक निगाह रखे हुए हैं। मुझे यकीन है कि जो भी जरूरी होगा, रिजर्व बैंक करेगा।” यही नहीं, उन्होंने कहा कि डेरिवेटिवऔरऔर भी

हर दिन 52 हफ्तों का पहला या आखिरी दिन होता है और हर दिन कोई कंपनी 52 हफ्ते का शिखर बनाती है तो कोई कंपनी 52 हफ्ते के रसातल पर चली जाती है। तो क्यों न हम रसातल में जानेवाली कंपनियों से कुछ समय के लिए ध्यान हटाकर उन कंपनियों पर लगाएं तो अपनी संभावनाओं के दम पर इस पस्त बाजार में भी सीना तानकर बढ़ी जा रही हैं। ऐसी ही एक कंपनी है कार्बोरनडम यूनिवर्सल। उसकेऔरऔर भी

बैंकर से लेकर अर्थशास्त्री तक कहे जा रहे हैं कि रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा में ब्याज दरें बढ़ा देगा। खासकर फरवरी में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति के उम्मीद से ज्यादा 8.31 फीसदी रहने पर लगभग पक्का माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक नीतिगत दरों यानी रेपो और रिवर्स रेपो दर को 0.25 फीसदी बढ़ाकर क्रमशः 6.75 फीसदी और 5.75 फीसदी कर देगा। लेकिन सूत्रों के मुताबिक रिजर्व बैंक इस बार ऐसाऔरऔर भी

केंद्र सरकार नए वित्त वर्ष में बाजार से लिए जानेवाले उधार का बड़ा हिस्सा सितंबर 2010 तक जुटा लेगी। रिजर्व बैंक द्वारा घोषित कैलेंडर के मुताबिक पहली छमाही में 2.87 लाख करोड़ रुपए के सरकारी बांड जारी किए जाएंगे। बता दें कि इन बांडों में वैसे तो आम निवेशक भी पैसा लगा सकते हैं। लेकिन अभी तक तकरीबन सारा निवेश बैंक, बीमा कंपनियां या म्यूचुअल फंड व कॉरपोरेट इकाइयां ही करती रही है। रिजर्व बैंक की तरफऔरऔर भी