बुला रहे हैं एल एंड टी इंफ्रा के बांड

बचत को लगाने का सबसे जोखिम भरा ठिकाना है शेयर बाजार तो वहां से सबसे ज्यादा रिटर्न भी मिलने की संभावना होती है। लेकिन धन डूबकर रसातल में भी जा सकता है। इसलिए कोई भी अपनी सारी बचत शेयर बाजार में नहीं लगाता। दो-तीन महीने की जरूरत भर का कैश अलग रखकर बाकी धन बैंक एफडी से लेकर सोना व प्रॉपर्टी जैसे अपेक्षाकृत सुरक्षित माध्यमों में भी लगाता है। लेकिन निवेश का एक और विकल्प है जिस पर आम निवेशकों का उतना ध्यान नहीं गया है। यह माध्यम है बांड। बांडों में भी सबसे सुरक्षित हैं सरकारी बांड। लेकिन इनमें उतना ब्याज नहीं मिलता तो उनकी तरफ पहले से धनवान लोग ही ज्यादा खिंचते हैं।

बांडों में आम निवेशकों के लिए एक खास बांड हैं इंफ्रास्ट्रक्चर बांड। इनमें भी खास बात यह है कि आप 20,000 रुपए तक के निवेश पर कर-छूट पा सकते हैं। अगर आप सबसे ज्यादा 30 फीसदी कर देनेवाली श्रेणी में आते हैं तो इस निवेश पर 3 फीसदी शिक्षा-उपकर जोड़कर कुल 6180 रुपए का टैक्स बचा सकते हैं। शायद आप इस बात से वाकिफ ही होंगे कि इंफास्ट्रक्चर बांडों में निवेश आयकर कानून की धारा 80-सीसीएफ के तहत रखा गया है और यह 80-सी के तहत निर्धारित एक लाख रुपए की सीमा से अलग है। दूसरे शब्दों में अगर आप इन बांडों में निवेश नहीं करते तो आप एक लाख रुपए की ही आय पर टैक्स बचा सकते हैं, जबकि इन बांडों में धन लगाकर आप 1.20 लाख रुपए पर टैक्स बचा सकते हैं।

कर बचाने के इस मौसम में कई कंपनियां अपने-अपने इंफ्रास्ट्रक्चर बांडों के साथ आपके सामने हैं। इनमें आईडीएफसी, आईएफसीआई, रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन (आरईसी), पीटीसी इंडिया फाइनेंशियल और एल एंड टी इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस शामिल हैं। इन्होंने लंबे समय, 10 से 15 साल के बांड जारी किए हैं। इन बांडों पर अधिकतम कितना ब्याज मिलेगा, इसका फैसला इस बात से होता है कि इन्हें लाने के ठीक पिछले महीने के आखिरी कामकाजी दिन समान परिपक्वता अवधि वाले सरकारी बांडों की यील्ड क्या रही है। बांडों पर दिए जाने ब्याज की दर सरकारी बांडों की उस दिन की यील्ड से ज्यादा नहीं हो सकती।

बता दें कि यील्ड का मतलब बांड की ब्याज या कूपन दर से भिन्न होता है। बांड चूंकि बाजार में ट्रेड होते हैं, इसलिए इनसे मिलनेवाली वास्तविक ब्याज के लिए बाजार के कारक को शामिल करना पड़ता है। मान लीजिए कि 9 फीसदी सालाना ब्याज वाले 100 रुपए अंकित मूल्य के किसी बांड का दाम 95 रुपए चल रहा है। इसे जो निवेशक 95 रुपए पर खरीदेगा, उसे परिपक्वता पर 9 फीसदी की जगह वास्तव में 11.47 फीसदी ब्याज मिलेगा। इसी को यील्ड कहते हैं जो बाजार में बांडों के भाव के हिसाब से घटती-बढ़ती रहती है।

ब्याज दर बढ़ने का अंदेशा रहता है तो ज्यादा कूपन या तय ब्याज वाले बांडों के भाव घट जाते है और यील्ड उसी अनुपात में बढ़ जाती है। दूसरी तरफ ब्याज दरें घटने का माहौल होता है तो पुराने बांडों के भाव बढ़ जाते हैं और उन पर यील्ड घट जाती है। बांड बाजार में शेयर बाजार जैसी सनसनी नहीं होती। यहां बहुत-सारी चीजें एकदम बंधे-बधाए ढर्रे पर चलती है। वैसे भी इस बाजार में सबसे ज्यादा सरकारी बांड ही चलते हैं और बैंक व वित्तीय संस्थान ही यहां के सबसे बड़े खिलाड़ी हैं तो माहौल में ज्यादा खलबली नहीं मचती।

शेयर बाजार के साथ इस बाजार को समझना जरूरी है क्योंकि सारी बचत एक जगह लगाना सरासर बेवकूफी है। हमारा मानना है कि हर आम करदाता को कम से कम 20,000 रुपए इंफ्रास्ट्रक्चर बांडों में लगा ही देना चाहिए। इसमें भी अच्छा विकल्प एल एंड टी इंफ्रा बांडों का है। एल एंड टी इफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस एल एंड टी की सब्सिडियरी है। कंपनी को बांडों की इस दूसरी किश्त से कुल 1100 करोड़ रुपए जुटाने हैं। इश्यू 10 जनवरी से खुल चुका है और 11 फरवरी तक खुला रहेगा। शनिवार, 28 जनवरी तक कंपनी इन बांडों से 529 करोड़ रुपए जुटा चुकी है और उसे अब 571 करोड़ रुपए ही जुटाने हैं।

इन बांडों पर ब्याज की दर नियमतः 8.70 फीसदी रखी गई है और नियमतः इन पर पांच साल की लॉक-इन अवधि है। इसके बाद एल एंड टी इंफ्रा के ये बांड बीएसई में लिस्ट कराए जाएंगे। कंपनी के सीईओ सुनीत माहेश्वरी का कहना है कि जरूरत पड़ी तो इन्हें एनएसई में भी लिस्ट कराया जाएगा। बांडों की परिपक्वता अवधि दस साल की है। अगर आप हर साल ब्याज लेने का विकल्प नहीं चुनते तो कंपनी आपको 1000 रुपए के निवेश पर दस साल बाद ब्याज समेत 2303.01 रुपए लौटा देगी। अगर आप हर साल 8.70 फीसदी ब्याज लेते हैं तो दस साल के अंत में आपको आपके 1000 रुपए ही वापस मिलेंगे।

अगर इस निवेश में टैक्स-छूट का प्रभाव जोड़ दिया जाए तो 20,000 रुपए तक के निवेश पर आपको हर साल ब्याज लेने का विकल्प चुनने पर अधिकतम 14.81 फीसदी का सालाना ब्याज मिलेगा। वहीं अगर आप सीधे दस साल बाद अपना धन वापस लेते हैं तो ब्याज की सालाना चक्रवृद्धि दर 12.79 फीसदी निकलती है। कंपनी इन बांडों को पांच साल और सात साल पर वापस खरीदने का विकल्प भी दे रही है। टैक्स-छूट समेत वास्तविक रिटर्न की गणना आप इन बांडों की साइट से फार्म को डाउनलोड करके कर सकते हैं।

अभी के लिए सबसे खास बात है कि ब्याज दरों में कमी का दौर शुरू हो चुका है। ऐसे में सरकारी बांडों की यील्ड का घटना तय है। इसलिए 8.70 फीसदी ब्याज देनेवाला एल एंड टी इंफ्रा बांड निवेश का अच्छा व सुरक्षित विकल्प है। कंपनी दुरुस्त है। इन बांडों को दो रेटिंग एजेंसियों, इक्रा और केयर से एए+ की रेटिंग मिली हुई है। अगले दस सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में भारी निवेश होना है। इसलिए कंपनी को धंधे की कोई कमी नहीं पड़ेगी। कंपनी ने 30 सितंबर 2011 तक बिजली समेत तमाम इंफ्राट्रक्चर परियोजनाओं को 8790 करोड़ रुपए का कर्ज दे रखा है। यह साल भर पहले की समान अवधि की तुलना में 67 फीसदी ज्यादा है। जब सुस्ती के दौर में यह रफ्तार है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि आगे इसमें कैसी वृद्धि होगी। कंपनी का धंधा बढ़ेगा तो बांडों के विमोचन में कोई दिक्कत नहीं होगी। इसलिए निश्चिंत भाव से एल एंड टी इंफ्रा के 20,000 रुपए के बांड खरीदे जा सकते हैं। हां, याद रखें कि ये टैक्स-बचत के बांड हैं, टैक्स-फ्री बांड नहीं। इसलिए अंत में आपको इनसे जो आय होगी, उस पर टैक्स लगेगा। कल को सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर बांडों को टैक्स-फ्री कर दे, तब बात अलग है। इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

1 Comment

  1. समझाइश के लिए धन्यवाद !

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