वित्त मंत्रालय ने साफ किया है कि भले ही लघु बचत स्कीमों की ब्याज दर को हर साल समतुल्य परिपक्वता वाली सरकारी प्रतिभूतियों के साथ जोड़ दिया गया है, लेकिन पीपीएफ (पब्लिक प्रॉविडेंट फंड) को छोड़कर बाकी सभी स्कीमों में निवेश पर ब्याज दरें फिक्स रहेंगी, फ्लोटिंग नहीं। सरकारी प्रतिभूतियों की ब्याज दर को बस एक संदर्भ के रूप में लिया जाएगा।
असल में मीडिया में इस तरह की खबरें आई थीं कि पहली दिसम्बर 2011 से सरकार ने लघु बचत योजनाओं पर ब्याज की दर को फ्लोटिंग कर दिया है, जिसमें सरकारी प्रतिभूतियों या बांडों पर बदलती यील्ड के हिसाब से बदलाव किया जाता रहेगा। गौरतलब है कि निश्चित मूल्य के सरकारी बांडों पर ब्याज की दर तय रहती है। लेकिन बाजार में बांडों के भाव बढ़ते-गिरते रहते हैं। इसके अनुरूप निवेशकों को अंत में तय मात्रा से ज्यादा ब्याज मिल जाता है। जैसे किसी ने 10 फीसदी ब्याज वाले 100 रुपए के बांड को 95 रुपए में खरीदा तो उसके लिए असल ब्याज की दर 10.526 फीसदी (10/95 X 100) हो गई है। इसे ही यील्ड कहते हैं। बांड के दाम घटने पर यील्ड बढ़ती है, जबकि दाम बढ़ते हैं तो यील्ड घटती है।
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि निवेश के समय की ब्याज दर उस निवेश की परिपक्वता तक नियत या फिक्स रहेगी। उसमें कोई बदलाव नहीं होगा। बाद के सालों में ब्याज दर में कोई संशोधन संबद्ध अवधि में किए गए निवेश पर ही लागू होगा। उदाहरण के तौर पर 1 दिसम्बर 2011 को पीपीएफ के अलावा किसी लघु बचत स्कीम में किया गया निवेश उस स्कीम की परिपक्वता तक वैध रहेगा, भले ही 1 अप्रैल 2012 से उस स्कीम पर ब्याज की दर बदल दी जाए। जहां तक पीपीएफ का संबंध है तो हर साल तय की जाने वाली ब्याज दर पीपीएफ के पुराने-नए सभी खातों पर लागू होगी।