सोने के गहनों की हॉलमार्किंग होगी जरूरी, कैबिनेट में प्रस्ताव पारित

देश में सोने के जेवरों की हॉलमार्किंग जल्दी ही अनिवार्य कर दी जाएगी। फिलहाल केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को कानून में इसके लिए जरूरी संशोधन को मंजूरी दे दी। अब यह संसद के दोनों सदनों में पास होने के बाद कानून बन जाएगा। सरकार के एक बड़े अधिकारी के मुताबिक, इस काम में कम से कम सात से आठ महीने लग सकते हैं।

जानकारों का कहना है कि इससे सबसे बड़ी बात यह होगी कि देश भर में सोने की शुद्धता को लेकर बार-बार उपजने वाली दुविधा दूर हो जाएगी। अभी तक होता यह है कि सोनार के यहां से गहना लेने पर हमेशा ग्राहक के मन में इस तरह का शक बना रहता है कि 22 कैरेट का सोना कहीं 16 या 18 कैरट का तो नहीं है। लेकिन हॉलमार्किंग के बाद ऐसे किसी शक की गुंजाइश नहीं रहेगी। वैसे, व्यापारियों के मुताबिक इस नियम को लागू करने में काफी दिक्कत आ सकती है।

ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वेलरी ट्रेड फेडरेशन के निदेशक दिनेश जैन कहते हैं, “छोटे से छोटे कस्बे तक में सोने की कम से कम एक दुकान है, जबकि देश में हॉलमार्किंग के केंद्र केवल बड़े शहरों में हैं। हम हॉलमार्किंग का समर्थन करते हैं। लेकिन अभी तक प्रस्ताविक कानून की प्रति हमें नहीं मिली है। इसलिए हम पूरी तरह नहीं जानते कि उसमें क्या प्रावधान किए गए हैं।” श्री जैन की मांग है कि सरकारी केंद्रों के अलावा स्वर्ण व्यापारियों के संगठनों को भी हॉलमार्किंग करने की इजाजत दी जाए।

बॉम्बे बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष पृथ्वीराज कोठारी ने कैबिनेट के फैसले का स्गागत किया है। उनका कहना था कि सोने की कीमतें ऊंची हैं। भारी कीमत देनेवाले ग्राहक को क्वालिटी का आश्वासन तो चाहिए ही चाहिए। सरकार का फैसला उद्योग के लिए अच्छा है। हॉलमार्किंग से सोने के जेवरात में निवेश को बढ़ावा मिल सकता है। उनका कहना है कि सोने की तरह चांदी में भी हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए।

वैसे, यह कदम अपने-आप में काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि देश में सोने की बिक्री का 80 फीसदी हिस्सा गहनों के रूप में होता है। सरकार ने तीन साल पहले भी इस तरह कानून लाने की कोशिश की थी। लेकिन गहनों के प्रमाणन के हॉलमार्किंग केद्रों की कमी के चलते उसने यह प्रस्ताव टाल दिया था। हालांकि अब भी ऐसे केंद्रों की संख्या पर खास फर्क नहीं पड़ा है।

देश में हॉलमार्किंग अब भी चलती है। लेकिन यह अनिवार्य नहीं है। बड़े-बडे ज्वैलर अपनी साख जमाने के लिए खुद हॉलमार्किंग वाला सोना बेचते हैं और सोने के गहनों को तय कैरट के हिसाब से वापस खरीदने का लिखित वादा भी करते हैं। बता दें कि भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा ग्राहक बना हुआ है। साल 2010 में भारत में करीब 958 टन सोने का आयात हुआ था। हालांकि साल 2011 में यह घटकर करीब 878 टन रह गया। अक्टूबर से दिसंबर 2011 की तिमाही में ही देश में सोने का आयात पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 56 फीसदी घटकर 125 टन पर आ गया। वैसे इधर 16 दिसंबर से खरमास भी चल रहा है जो अभी 14 जनवरी तक चलेगा। इस दौरान सोना खरीदना अशुभ माना जाता है।

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