देश की रक्षा कौन करेगा? हम करेंगे, हम करेंगे, हम करेंगे! गांवो, कस्बों और शहरों के हिंदी माध्यम स्कूलों में बच्चे यह नारा लगाकर ही बड़े होते हैं। कहीं और नौकरी नहीं मिली और सेना में भर्ती हो गए तो सीमा पर हंसते-हंसते शहीद हो जाते हैं। मां-बाप, बीवी-बच्चे बिखर जाते हैं, बिलखते जरूर हैं। पर घर-परिवार, नाते-रिश्तेदार उन पर गर्व करते हैं। इलाके में उनके नाम पर सड़क और विद्यालय बन जाते हैं। लेकिन भावना सेऔरऔर भी

दुनिया में कृषियोग्य जमीन के मामले में भारत अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है। अमेरिका के पास 1627.51 लाख हेक्टेयर खेतिहर जमीन है। चीन का कुल क्षेत्रफल हमारे तीन गुने से ज्यादा है। लेकिन हमारे पास खेती लायक जमीन 1579.23 लाख हेक्टेयर है, जबकि चीन के पास 1099.99 लाख हेक्टेयर। फिर भी चीन का अनाज उत्पादन हमसे कई गुना ज्यादा है। कारण, चीन की तुलना में हमारे यहां गेहूं की उत्पादकता 55%, धान की 51%, तिलहनऔरऔर भी

मान्यता है कि शेयर बाजार लंबे समय में फायदा ही देता है। लेकिन यह कोई निरपेक्ष सच नहीं है। इसकी सच्चाई का फैसला ‘कहां और कैसे’ से तय होता है। मसलन, जापान का निक्केई सूचकांक बीस साल पहले अक्टूबर 1992 में 16767 अंक पर था। अगस्त 1993 में 21,027 और जून 2006 में 22,757 तक चला गया। लेकिन फिर गिरने का सिलसिला शुरू हुआ तो अभी अक्टूबर 2012 में 8596 अंक पर आ चुका है। बीस सालऔरऔर भी

विश्व बैंक के मुताबिक बिजनेस करने की सहूलियत के बारे में दुनिया के 183 देशों में भारत का 132वां नंबर है। एक साल पहले 2011 में यह रैंकिंग इससे भी सात पायदान नीचे 139 पर थी। कमाल है, भ्रष्टाचार के मामलों के खुलने के बाद देश की रैंकिंग चढ़ गई! खैर, दुनिया में फिलहाल बिजनेस करने की सहूलियत को लेकर सिंगापुर पहले नंबर पर है। चीन, ब्राजील या रूस को तो छोड़िए, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका व नेपालऔरऔर भी

देश का निर्यात वित्त वर्ष 2011-12 में भले ही 20.94 फीसदी बढ़कर 303.72 अरब डॉलर पर पहुंच गया हो। लेकिन साल के आखिरी महीने मार्च 2012 में निर्यात में साल 2009 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद पहली बार कमी दर्ज की गई है। मार्च में हमारा निर्यात 5.71 फीसदी घटकर 28.68 अरब डॉलर पर आ गया है। दूसरी तरफ मार्च में हमारा आयात 24.28 फीसदी बढ़कर 42.59 अरब डॉलर रहा है। इस तरह मार्च में हुआऔरऔर भी

भारत में नौकरी करनेवाले महज 8% लोग अपनी नौकरी से खुश हैं। इस सच को उजागर किया है अंतरराष्ट्रीय शोध व सलाहकार फर्म, गैलप के ताजा सर्वे ने। इस साल जनवरी से मार्च के दौरान किए गए इस सर्वे के मुताबिक 31% भारतीय अपने कामकाज से असंतुष्ट व दुखी हैं। वे दफ्तर में जाकर दूसरों से अपना दुखड़ा ही रोते रहते हैं। अपने कामकाज से उत्साहित सबसे ज्यादा 74% लोग डेनमार्क में हैं। वहीं सबसे पस्त हालतऔरऔर भी

रिजर्व बैंक से लेकर वित्त मंत्रालय तक पिछले कई सालों से वित्तीय समावेश का ढिढोरा पीट रहा है। लेकिन आंकड़ों और घोषणाओं से परे विश्व बैंक की एक ताजा सर्वे रिपोर्ट कुछ और ही हकीकत बयां करती है। बताती हैं कि हम अब भी दुनिया से कितना पीछे हैं। विश्व बैंक की तरफ से कराए गए इस अध्ययन से पता चलता है कि भारत में 35 फीसदी लोगों के पास ही बैंक खाते हैं, जबकि दुनिया काऔरऔर भी

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में की गई 0.50 फीसदी की कटौती रास नहीं आई है। उसने बुधवार को भारत पर जारी अपने खास वक्तव्य में कहा है कि रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति में किसी भी वृद्धि को थामने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने को तैयार नहीं रहना चाहिए। उसका कहना है कि भारत को वाजिब विकास दर को हासिल करने के लिए आर्थिक सुधारों को गति देने की जरूरत है। आईएमएफऔरऔर भी

अमेरिका और यूरोप के बड़े बाजारों में खराब आर्थिक हालात के बावजूद भारत ने 2011-12 के दौरान 300 अरब डॉलर से अधिक का निर्यात किया है। देश का निर्यात पहली बार 300 अरब डॉलर के पार गया है। वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में मीडिया को बताया, ‘‘मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि बीते वित्त वर्ष में भारत का निर्यात 300 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच गया।’’ वैसे भारतऔरऔर भी