अमेरिका और यूरोप के बड़े बाजारों में खराब आर्थिक हालात के बावजूद भारत ने 2011-12 के दौरान 300 अरब डॉलर से अधिक का निर्यात किया है। देश का निर्यात पहली बार 300 अरब डॉलर के पार गया है। वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में मीडिया को बताया, ‘‘मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि बीते वित्त वर्ष में भारत का निर्यात 300 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच गया।’’
वैसे भारत की इस उपलब्धि को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने भी स्वीकार किया है। असल में साल 2011 में भारत का निर्यात दुनिया में सबसे ज्यादा रफ्तार से बढ़ा है। यहां तक कि उसने चीन को भी मात दे दी है। डब्ल्यूटीओ का कहना है कि 2011 में वैश्विक व्यापार 5 फीसदी घट गया। इसके बावजूद भारत का निर्यात 16.1 फीसदी बढ़ा है। वहीं चीन के निर्यात की वृद्धि दर 9.3 फीसदी ही दर्ज की गई है।
वाणिज्य मंत्री शर्मा ने बताया कि जिन क्षेत्रों में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है उनमें इंजीनियरिंग, रत्न एवं जेवरात, कपड़े, रसायन और दवाएं शामिल हैं। लेकिन बीते वित्त वर्ष में कुल आयात बढ़कर 485 अरब डालर का हो गया। ऐसा मुख्य तौर पर पेट्रोलियम की ऊंची कीमत के कारण हुआ। इस दौरान पेट्रोलियम तेलों का आयात 150 अरब डॉलर रहा, जबकि सोना-चांदी का आयात 60 अरब डॉलर के साथ इसके बाद दूसरे नंबर पर रहा। भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा आयातक है।
मंत्री महोदय ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान व्यापार घाटा बढ़कर 185 अरब डॉलर हो जाना चालू वित्त वर्ष के लिए भी बड़ी चुनौती है। पिछले वित्त वर्ष 2010-11 में देश का व्यापार घाटा 104.4 अरब डॉलर था। उन्होंने कहा कि व्यापार घाटे से देश के चालू खाते का घाटा बढ़ रहा है जो गंभीर चिंता का मसला है। हालांकि वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने कहा कि ये आंकड़े अस्थाई है। अंतिम आंकड़ा इसी महीने बाद में जारी किया जाएगा।