देश में वित्तीय क्षेत्र के नियामकों में बीमा नियामक संस्था आईआरडीए (इरडा) के बारे में माना जाता है कि वह बीमाधारकों के नहीं, बल्कि बीमा उद्योग के हित में काम करती है। उसने एक बार फिर यह बात सही साबित कर दी है। इरडा ने बीमा एजेंटों के बारे में इस साल फरवरी में बनाए गए और 1 जुलाई 2011 से लागू नियमों को उद्योग के दबाव में बदल दिया है। पहले तय किया गया था किऔरऔर भी

करीब 30 लाख लोगों को बतौर एजेंट रोजगार देनेवाली जीवन बीमा कंपनियां इस समय अपना कमीशन बचाने और एजेंटों को ग्रेच्युटी व नवीनीकरण प्रीमियम से वंचित करने के लिए नया दांव खेल रही हैं। वे हर साल जितने नए एजेंटों की भरती करती हैं, उससे ज्यादा एजेंटों को निकाल देती हैं। बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) की 2009-10 की सालाना रिपोर्ट से यह बात सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में वित्त वर्ष 2009-10 में कुलऔरऔर भी

बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) के चेयरमैन जे हरिनारायण तहेदिल से बीमा एजेंटों के साथ हैं। दुनिया भले ही कहे कि बीमा एजेंट भारी-भरकम कमीशन लेते हैं, खासकर यूलिप प्लान में। लेकिन इरडा प्रमुख मानते हैं कि अभी हमारे बीमा उद्योग में एजेंट का जितना कमीशन है, उससे सस्ते में बीमा उत्पादों के बेचने का कोई दूसरा तरीका नहीं। और, उन्होंने यह बात आंकड़ों से साबित की है। मंगलवार को मुंबई में भारतीय बीमा संस्थान (आईआईआई) केऔरऔर भी

बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) ने बीमा एजेंटों की ऑनलाइन ट्रेनिंग में हो रही गड़बड़ियों को रोकने के लिए कई सख्त नियम बना दिए हैं। इसमें खास बात यह है कि उम्मीदवार के पास अपना ईमेल आईडी व मोबाइल होना जरूरी है और हर सत्र यानी चार घंटे की ट्रेनिंग के बाद उसे नया पासवर्ड दिया जाएगा जो उसे एसएमएस से सूचित किया जाएगा। बीमा नियामक संस्था ने बुधवार को ऑनलाइन एजेंट ट्रेनिंग इस्टीट्यूट्स के लिए जारीऔरऔर भी

इस समय यूलिप जैसे नए-नए बीमा उत्पादों में जिस-जिस तरह के शुल्क होते हैं, जैसी गणनाएं होती हैं, जिस तरह का बेनिफिट चार्ट पॉलिसी बेचने से पहले ग्राहक को समझाना प़ड़ता है, उससे ये इतने जटिल हो गए हैं कि गणित के अच्छे-खासे ग्रेजुएट के लिए भी इन्हें बेच पाना मुश्किल है। लेकिन इस समय देश में इन्हें हाईस्कूल से इंटर पास लोग तक बेच सकते हैं और बेच रहे हैं। कहने को बीमा एजेंट बनने केऔरऔर भी