केके बिड़ला समूह की कंपनी चंबल फर्टिलाइजर्स ने बुधवार को सितंबर तिमाही के नतीजे घोषित किए। कंपनी के निदेशक बोर्ड के कुछ फैसले भी किए। लेकिन इनमें से किसी बात से आहत होकर कंपनी का शेयर एक दिन में 13 फीसदी से ज्यादा गिर गया। एनएसई में इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर 13.02 फीसदी गिरकर 88.15 रुपए और बीएसई में 13.46 फीसदी गिरकर 87.45 रुपए पर बंद हुआ। इसकी दो स्पष्ट वजहें हैं। एक तोऔरऔर भी

मानसून अच्छा है। समय पर है। इसलिए खेती-किसानी की हालत बेहतर रहेगी। बहुत साफ-सी बात है कि इसी के अनुरूप खाद व उर्वरक की मांग भी बढ़ेगी। इससे उर्वरक कंपनियों का धंधा चमकेगा। धंधा चमकेगा तो उनके शेयर भी चमकेंगे। लेकिन दिक्कत यह है कि उर्वरक कंपनियों में जब भी निवेश की बात आती है तो लोग आमतौर पर नागार्जुन फर्टिलाइजर्स और चंबल फर्टिलाइजर्स की ही चर्चा करते हैं। नागार्जुन फर्टिलाइजर्स के बारे में सालों-साल से चर्चाऔरऔर भी

सरकार यूरिया से मूल्य-नियंत्रण हटाने की तरफ तेज कदमों से बढ़ रही है। बुधवार को वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और उवर्रक राज्य मंत्री श्रीकांत जेना उर्वरक उद्योग के प्रतिनिधियों से मिले। समाचार एजेंसी रायटर्स के अनुसार इस मुलाकात के बाद उन्होंने एक पैनल बनाने का निर्णय लिया है जिसमें उर्वरक मंत्रालय, कृषि मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के शीर्ष अधिकारी शामिल रहेंगे। यह पैनल यूरिया के मूल्य से सरकारी नियंत्रण हटाने की संभाव्यता पर विचारऔरऔर भी