केके बिड़ला समूह की कंपनी चंबल फर्टिलाइजर्स ने बुधवार को सितंबर तिमाही के नतीजे घोषित किए। कंपनी के निदेशक बोर्ड के कुछ फैसले भी किए। लेकिन इनमें से किसी बात से आहत होकर कंपनी का शेयर एक दिन में 13 फीसदी से ज्यादा गिर गया। एनएसई में इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर 13.02 फीसदी गिरकर 88.15 रुपए और बीएसई में 13.46 फीसदी गिरकर 87.45 रुपए पर बंद हुआ।
इसकी दो स्पष्ट वजहें हैं। एक तो यह कि सितंबर तिमाही में कंपनी का कर-पूर्व लाभ 18.89 फीसदी घटकर 105.62 करोड़ रुपए पर आ गया। साल भर पहले की तुलना में काफी कम कर-अदायगी के बावजूद उसका शुद्ध लाभ मात्र 6.50 फीसदी बढ़कर 91.65 करोड़ रुपए पर पहुंच सका। उसकी बिक्री में भी केवल 6.72 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया और वो 1638.28 करोड़ रुपए रही।
खराब प्रदर्शन की एक बड़ी वजह यह है कि कंपनी के शिपिंग डिवीजन को सितंबर 2011 की तिमाही में 19.31 करोड़ रुपए का घाटा उठाना पड़ा है। इसी साल 19 जुलाई को कंपनी ने तय किया था कि शिपिंग डिवीजन को निकालकर अलग से इंडिया स्टीमशिप नाम की कंपनी बना दी जाएगी। लेकिन बुधवार को कंपनी के निदेशक बोर्ड ने इस योजना को वापस ले लिया। इसका मतलब यह हुआ कि यह डिवीजन कंपनी को आगे भी सताती रहेगी। यह बड़ी वजह रही है शेयरों के इतने ज्यादा गिरने की।
इसका असर इस कदर हुआ कि कंपनी द्वारा भरुच (गुजरात) और कोटा (राजस्थान) में सिंगल सुपर फॉस्फेट के नए संयंत्र लगाने के सकारात्मक फैसले का भी कोई असर नहीं हुआ। कंपनी भरुच में 122 करोड़ और कोटा में 32.50 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश करेगी।