रिजर्व बैंक ने देश के करीब पचास करोड़ बैंक ग्राहकों को ध्यान में रखते हुए बचत खातों पर ब्याज दर तत्काल प्रभाव से बढ़ाकर 4 फीसदी कर दी है। यह दर 1 मार्च 2003 से ही 3.5 फीसदी पर अटकी हुई थी। 24 अप्रैल 1992 से लेकर तब तक बचत खाते पर ब्याज की दर 6 फीसदी सालाना थी। इस तरह इन दरों को करीब 19 साल बाद बढ़ाया गया है।
रिजर्व बैंक गवर्नर दुव्वरि सुब्बाराव ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2011-12 की सालाना मौद्रिक नीति पेश करते हुए बचत खातों की जमा पर ब्याज दर बढ़ाने की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि बचत खातों की ब्याज दर पर नियंत्रण हटाने तक की बीच की अवधि के लिए ऐसा किया जा रहा है। बता दें कि रिजर्व बैंक ने पिछले ही हफ्ते इन दरों को नियंत्रण-मुक्त करने के लिए एक विमर्श-पत्र जारी किया है, जिस पर 20 मई तक प्रतिक्रियाएं व सुझाव भेजे जा सकते हैं।
साथ ही रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाने के मकसद से सालाना मौद्रिक नीति में नीतिगत ब्याज दरों में भी वृद्धि कर दी है। रेपो दर को 6.75 फीसदी से बढ़ाकर 7.25 फीसदी और रिवर्स रेपो दर को 5.75 फीसदी से बढ़ाकर 6.25 फीसदी कर दिया गया है। बाकी नियामक दरों को अपरिवर्तित रखा गया है। मालूम हो कि रेपो दर पर बैंक रिजर्व बैंक से एकाध दिन के लिए उधार लेते हैं, जबकि रिवर्स रेपो वह ब्याज दर है जो उन्हें अपना अतिरिक्त धन रिजर्व बैंक के पास जमा कराने पर मिलती है।
इन कदमों का सीधा-सा मतलब यह हुआ है कि बैंक अब अपने तमाम ऋणों को महंगा कर सकते हैं। साथ ही डिपॉजिट पर भी ब्याज दर बढ़ा सकते हैं। ब्याज दरें बढ़ाकर रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में मांग को नियंत्रित करना चाहता है ताकि मुद्रास्फीति पर काबू पाया जा सके। रिजर्व बैंक गवर्नर सुब्बाराव ने आज दोपहर बैंकरों को संबोधित करते हुए कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में मुद्रास्फीति की दर चढ़ी हुई रहेगी। लेकिन उसके बाद इमसें गिरावट आने लगेगी। मार्च 2012 के लिए रिजर्व बैंक ने थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति का लक्ष्य 6 फीसदी रखा है। लेकिन इसमें ऊपर जाने का रुझान रहेगा।
आर्थिक विकास दर के बारे में रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए अनुमान घटाकर 8 फीसदी कर दिया है। यह वित्त मंत्रालय की सोच से फर्क है क्योंकि मंत्रालय ने 9 फीसदी की विकास दर प्रक्षेपित की है। मौद्रिक नीति में कहा गया है कि बीते वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था (सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी) की विकास दर 8.6 फीसदी रही है। अच्छे मानसून के बाद कृषि में भी अच्छा विकास हुआ। नए वित्त वर्ष 2011-12 में सामान्य मानसून और कच्चे तेल के औसत दाम को 110 डॉलर प्रति बैरल मानते हुए आर्थिक विकास की दर 8 फीसदी के आसपास रह सकती है।
रिजर्व बैंक ने इसके अलावा तय किया है कि बैंक अपनी नेटवर्थ के 10 फीसदी से ज्यादा म्यूचुअल फंडों की लिक्विड स्कीमों में निवेश नहीं कर सकते। लिक्विड स्कीमें थोड़े दिनों की ऋण स्कीमें होती हैं जो अपना कोष मुख्य रूप से सरकार के ट्रेडरी बिलों या अल्पकालिक ऋणों में लगाती हैं। इस संबंध में बैंकों व म्यूचुअल फंडों के बीच सर्कुलर धंधे का आरोप लगता रहा है। रिजर्व बैंक कुछ खास श्रेणियों के एनपीए (गैर-निष्पादित आस्तियों) के बारे में प्रावधान भी कड़े करेगा।
क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप (सीडीएस) पर अंतिम दिशानिर्देश जल्दी ही जारी किए जाएंगे। सरकारी प्रतिभूतियों या बांडों में शॉर्ट सेल की अवधि मौजूदा पांच दिनों से बढ़ाकर अधिकतम तीन महीने कर दी गई है। एक और अहम कदम रिजर्व बैंक ने एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशकों) के लिए उठाया है कि वे वित्त वर्ष की शुरुआत में ही अपने पोर्टफोलियो के बाजार मूल्य का 10 फीसदी हिस्सा कैंसल या रीबुक कर सकते हैं।