लॉबीइंग और रिलायंस समूह का रिश्ता बहुत पुराना रहा है। यह काम धीरूभाई के जमाने से चला रहा है। लेकिन उनके छोटे बेटे अनिल अंबानी ने लगता है, इसे देश की सरहदों से बाहर पहुंचा दिया है। अमेरिका के पर्यावरण प्रेमी संगठनों ने आरोप लगाया है कि रिलायंस पावर ने मध्य प्रदेश में 3960 मेगावॉट की सासन बिजली परियोजना के लिए अमेरिकी एक्सपोर्ट इम्पोर्ट बैंक (यूएस एक्जिम बैंक) से 60 करोड़ डॉलर की ऋण गारंटी जबरदस्त लॉबीइंग की बदौलत हासिल की है।
यूएस एक्जिम बैंक ने 20,000 करोड़ रुपए की इस कोयला आधारित ताप-विद्युत परियोजना के लिए सप्लायरों को पहले ऋण गारंटी देने से इनकार कर दिया था। लेकिन बाद में रिलायंस पावर ने सभी संबंधित पक्षों को समझाने-बुझाने का सिलसिला चलाय कि उसकी परियोजना से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा और वहां सारे उत्सर्जन मानकों का पालन किया जा रहा है। पर्यावरणवादियों का कहना है कि इसी दबाव के आगे झुकते हुए यूएस एक्जिम बैंक ने आज (बुधवार) अपनी बोर्ड मीटिंग ने पुराने फैसले को पलट दिया।
वॉशिंगटन से जारी एजेंसी रिपोर्टों के मुताबिक चार पर्यावरण संगठनों – फ्रेंड्स ऑफ अर्थ, पैसिफिक एनवॉयर्नमेंट, ऑयल चेंज इंटरनेशनल और ग्राउंडवर्क ने साझा बयान में कहा है कि इस तरह सासन परियोजना पर फैसले के पलटने से सारी दुनिया में गलत संदेश जाएगा। खासकर, दक्षिण अफ्रीका में कुसाइल की 4800 मेगावॉट क्षमता की कोयला आधारित बिजली परियोजना के लिए यही मांग की जाएगी, जिससे हर साल 305 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड गैस निकलेगी। इन संगठनों का आरोप है कि यूएस एक्जिम बैंक ने भारी लॉबीइंग के चलते ही अपना पुराना फैसला बदला है।
हालांकि यूएस एक्जिम बैंक का कहना है कि उसने एडीए समूह के प्रमुख अनिल अंबानी से अक्षय ऊर्जा में निवेश का आश्वासन मिलने के बाद सासन परियोजना के लिए ऋण गारंटी दी है और इससे अमेरिका में 1000 नौकरियां बच जाएंगी क्योंकि परियोजना के लिए टेक्नोलॉजी अमेरिका से ही ली जा रही है। रिलायंस पावर के भी अधिकारियों का कहना है कि सासन परियोजना में सभी उत्सर्जन मानकों का पालन किया जा रहा है। इसलिए एक्जिम बैंक से ऋण गारंटी जायज आधार पर मिली है।