मुद्रास्फीति फिर दस के पार, बढ़ेगी ब्याज दर

थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर लगातार पांचवें महीने 10 फीसदी से ऊपर रही है। मुद्रास्फीति में दहाई अंक का यह सिलसिला इस साल फरवरी से शुरू हुआ है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक जून महीने में मुद्रास्फीति की सालाना वृद्धि दर 10.55 फीसदी रही है, जबकि मई में यह 10.16 फीसदी ही थी। इस बीच अप्रैल के अंतिम आंकड़े आ गए हैं जिसके मुताबिक उस माह में मुद्रास्फीति की दर 11.23 फीसदी थी, जबकि अनंतिम आंकड़े 9.59 फीसदी के थे। इसलिए माना जा रहा है कि मई और जून में वास्तविक मुद्रास्फीति 11-12 फीसदी से कम नहीं रहेगी।

सरकार ने पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस व केरोसिन के मूल्य 26 जून से बढ़ाए हैं। इसलिए इनका असर जुलाई की मुद्रास्फीति में नजर आएगा। ऐसे में मुद्रास्फीति को संभालना या कम से कम उसकी अपेक्षाओं को थामना जरूरी हो गया है। इसलिए पूरी उम्मीद है कि रिजर्व बैंक 27 जुलाई को मौद्रिक नीति की पहली त्रैमासिक समीक्षा में ब्याज दरें बढ़ा सकता है। सूत्रों के मुताबिक वह रेपो दर को 5.50 फीसदी से बढ़ाकर 6 फीसदी और रिवर्स रेपो दर को 4 से बढ़ाकर 4.50 फीसदी कर सकता है।

इस तरह ब्याज दरें बढ़ाकर वह धन की उपलब्धता को महंगा कर देगा, जिससे मांग में कमी आएगी और मांग में कमी आने से महंगाई घट सकती है। वैसे, इधर योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया और वित्त सचिव अशोक चावला से लेकर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी तक लगातार बयान दिए जा रहे हैं कि दिसंबर तक मुद्रास्फीति की दर 5-6 फीसदी पर आ जाएगी।

जून में थोक मूल्य सूचकांक के अलग-अलग हिस्सों को देखें तो खाद्य पदार्थों के मूल्य साल भर पहले की तुलना में 14.60 फीसदी बढ़े हैं, जबकि मई में इनमें 16.49 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी। लेकिन मैन्यूफैक्चरिंग सूचकाकं 6.66 फीसदी बढ़ा है, जबकि मई में यह 6.41 फीसदी बढ़ा था। ईंधन सामग्रियों के सूचकांक में जून में 14.32 फीसदी वृद्धि हुई है, जबकि मई में यह 13.05 फीसदी थी। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की अर्थशास्त्री अनुभूति सहाय का मानना है कि जून में वास्तविक मुद्रास्फीति की दर 12 फीसदी के आसपास रहेगी। पूरी संभावना है कि रिजर्व बैंक 27 जुलाई को रेपो और रिवर्स रेपो दर में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी कर देगा।

बैंक ऑफ बड़ौदा की अर्थशास्त्री रूपा रेगे नित्सुरे का कहना है कि जिस तरह मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में भी मुद्रास्फीति बढ़ी है, उससे लगता है कि अब खाद्य वस्तुओं ही नहीं, ईंधन जैसी चीजों का भी असर पड़ने लगा है। मानसून अच्छा भी रहा और खाने-पीने की चीजें थोड़ी सस्ती हो गईं, फिर भी मांग का दबाव कम से कम एक तिमाही तक मुद्रास्फीति को दहाई अंकों में बनाए रखेगा। इसलिए रिजर्व बैंक ब्याज दरें बढ़ाने का क्रम जारी रखेगा। लेकिन सीआरआर (नकद आरक्षी अनुपात – रिजर्व बैंक के पास अनिवार्य रूप से रखी जानेवाले कैश का कुल जमा में हिस्सा) को बढ़ाए जाने की उम्मीद नहीं है।

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