सरकार के सामने कृषि क्षेत्र की विकास दर को बढ़ाने की जबरदस्त चुनौती आ खड़ी हो गई है। अगर देश में 9 फीसदी आर्थिक विकास दर हासिल करना है तो कृषि क्षेत्र को कम से कम 4 फीसदी बढ़ना होगा। ऐसी ही चिंता और चुनौती के बीच खुद राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील की तरफ से राज्यपालों की एक समिति गठित की गई है। यह समिति खासतौर पर वर्षा आधारित खेती की उत्पादकता, लाभप्रदता, टिकाऊपन और होड़ में टिके रहने के उपायों का पता लगाकर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। समिति की अध्यक्षता पंजाब व राजस्थान के राज्यपाल शिवराज पाटील को सौंपी गई है।
यह समिति ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एकीकृत करने और कृषि व इसके सहयोगी क्षेत्रों में निवेश लाने के लिए स्थानीय स्तर पर अपेक्षित नीतिगत पहल और विधायी उपायों व योजनाओं के पुनर्गठन जैसे तमाम सुधारों की जरूरत पर चर्चा करेगी। यह समिति कृषि और सहयोगी क्षेत्रों में नवोन्मेष व अत्याधुनिक तकनीक को लाने, कृषि श्रमिकों और खेती के मशीनीकरण के उभरते माहौल को साधने के जरूरी कदमों पर भी चर्चा करेगी। वो खेती में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, कृषि विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों की भूमिका और सहभागिता पर भी चर्चा कर जरूरी सिफारिशें करेगी।
समिति के सदस्यों में महाराष्ट्र व गोवा के राज्यपाल के शंकरनारायणन, जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा, मेघालय के राज्यपाल आर एस मूसाहारी, कर्नाटक के राज्यपाल एच आर भारद्वाज, बिहार के राज्यपाल देवानंद कुंवर, उत्तराखंड की राज्यपाल माग्ररेट अल्वा, नगालैंड के राज्यपाल निखिल कुमार, असम के राज्यपाल जे बी पटनायक, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल शेखर दत्त, तमिलनाडु के राज्यपाल के रोसैया, मिजोरम के राज्यपाल वी पुरुषोत्तमन और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल ले. जनरल (रिटायर्ड) भूपिंदर सिंह शामिल हैं।