सरकार के लिए थोड़े सुकून की बात की है कि 12 नवंबर को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति की दर दहाई अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 9.01 फीसदी पर आ गई। यह पिछले नौ हफ्तों का न्यूनतम स्तर है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने इन आंकड़ों के जारी होने के बाद कहा कि अगर खाद्य वस्तुओं के दाम में गिरावट का यही रुख रहा तो मुद्रास्फीति में कमी आ सकती है।
वित्त मंत्री के शब्दों में, “अगर यह रुझान नवंबर के अगले दो हफ्तों में जारी रहता है तो मुझे आशा है कि मुद्रास्फीति शांत होने लगेगी।” नोट करने की बात यह है कि 12 नवंबर को खत्म हफ्ते में खाद्य मुद्रास्फीति तो घटकर 9.01 फीसदी पर आ गई है। लेकिन इसी दौरान ईंधन का मूल्य सूचकांक 15.49 फीसदी बढ़ गया। इससे पिछले हफ्ते खाद्य मुद्रास्फीति की दर इससे ज्यादा 10.63 फीसदी और ईंधन की मुद्रास्फीति दर इसी के बराबर 15.49 फीसदी थी। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित सकल मुद्रास्फीति की बात करें तो अक्टूबर महीने में यह 9.73 फीसदी रही है और लगातार 11 महीनों से 9 फीसदी के ऊपर बनी हुई है।
चिंता की बात यह भी है कि 12 नवंबर के हफ्ते में खाद्य मुद्रास्फीति में कमी के बावजूद आलू, प्याज और गेहूं को छोड़कर ज्यादातर खाद्य वस्तुओं के दाम अब भी पिछले साल की तुलना में उंचे बने हुए थे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक आलोच्य सप्ताह के दौरान प्याज एक साल पहले से 32.85 फीसदी सस्ती रही जबकि आलू 7.23 फीसदी और गेहूं 3.09 फीसदी सस्ता रहा।
इसी दौरान दौरान सब्जियों के औसत दाम एक साल पहले से 17.66 फीसदी ऊंचे चल रहे थे। इसी तरह दाल 14.28 फीसदी और दूध 10.46 फीसदी महंगा रहा। अंडा, मांस और मछली की कीमतें भी पिछले साल से 11.98 फीसदी ऊंची चल रही हैं। फल सालाना आधार पर 4.59 फीसदी और अनाज 2.86 फीसदी महंगे रहे। 19 नवंबर को खत्म हफ्ते की खाद्य मुद्रास्फीति के आंकड़े गुरुवार 1 दिसंबर को जारी किए जाएंगे।