जिस पश्चिग बंगाल में ममता बनर्जी मां, माटी, मानुष के नारे पर सत्तासीन हुई हैं, उसी के एक इलाके की माटी हजारों मानुषों के लिए श्राप बन गई है। सुंदरवन के गोसाबा में हजारों किसानों के लिए आने वाला मानसून बारिश की बूंदें भले ही ले आए, लेकिन खारी धरती की फसलें तब भी हरी नहीं होंगी।
दो साल पहले आए आइला चक्रवात से खारी हुई मिट्टी का अभिशाप झेलने को विवश हैं ये किसान। एक ओर प्राकृतिक आपदा तो दूसरी ओर बड़े पैमाने पर पलायन से किसानों की व्यथा और गहरी हो गई है। दुनिया के इस सबसे बड़े डेल्टा इलाके में कोई उद्योग नहीं है और लोग आजीविका के लिए खेती, मछली पालन और वनों पर निर्भर हैं।
सुंदरवन के सुदूर दक्षिणी इलाके में तटीय गोसाबा प्रखंड के छोटो मोलाखली और कुमीरमारी पंचायत इलाकों के लोगों की किस्मत पर कुठाराघात तब हुआ, जब मई 2009 में वहां भीषण तूफान आया।
दक्षिण 24 परगना जिले के जिलाधिकारी नारायणस्वरूप निगम ने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट को बताया कि खारेपन की समस्या को कम करने के लिए स्वच्छ जल के संरक्षण को बढावा दिया गया है। बसंती और गोसाबा प्रखंडों में बारिश के पानी को संचित करने के लिए छोटे तालाब खोदे गए हैं।