केंद्र सरकार ने कहा है कि डीजल की कीमतों को नियंत्रण-मुक्त करने का फिलहाल उसका कोई इरादा नहीं है। सरकार के इस बयान से ट्रांसपोर्टरों के साथ डीजल का इस्तेमाल करने वाले अन्य वर्ग के लोगों को राहत मिली है।
वित्त सचिव अशोक चावला ने एक प्रमुख टेलिविजन चैनल पर एक परिचर्चा के दौरान कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि डीजल की कीमतों को नियंत्रण-मुक्त किए जाने का यह सही समय है और न ही यह उचित होगा।’’ सरकार ने इसी साल जून में पेट्रोल की कीमतों को नियंत्रण-मुक्त कर दिया था। लेकिन डीजल के बारे में कोई निर्णय नहीं किया गया था।
कीमतों को नियंत्रण-मुक्त किए जाने के बाद पेट्रोल के दाम 3. 50 रुपए प्रति लीटर बढ़ गए थे। हालांकि उस समय डीजल के दाम दो रुपए प्रति लीटर बढ़ाए गए थे। वहीं इसके साथ ही रसोई गैस सिलेंडर की कीमत में 35 रुपए प्रति सिलेंडर और मिट्टी के तेल में तीन रुपए प्रति लीटर की वृद्धि की गई थी।
मुद्रास्फीति पर चावला ने कहा कि अगले कुछ माह में यह 8. 5 फीसदी के मौजूदा स्तर से घटकर छह फीसदी पर आ जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘यह ऐसा मामला नहीं है कि आपकी वृद्धि दर ऊंची है तो महंगाई की दर भी ऊंची होगी।’’ वित्त सचिव ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर 8. 5 फीसदी रहेगी, जबकि इससे अगले वित्त वर्ष में यह इससे कुछ ज्यादा रहेगी।