साल भर के एनसीडी से आम आदमी बाहर

हमारे देश में कुछ चीजें इतनी महीन तरीके से हो जाती हैं कि किसी को आभास ही नहीं होता कि इसमें कुछ गड़बड़ भी है। जैसे, बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने एक अधिसूचना जारी कर तय कर दिया कि कंपनियों द्वारा जारी किए जानेवाले एक साल तक के अपरिवर्तनीय डिबेंचरों (एनसीडी) में न्यूनतम निवेश 5 लाख रुपए का होगा। इसके बाद यह निवेश एक-एक लाख करके बढ़ाया जा सकता है। हालांकि यह नियम एनसीडी के प्राइवेट प्लेसमेंट के लिए है। लेकिन नियमतः इसमें आम निवेशक भी भाग ले सकते हैं। यह अलग बात है कि हकीकत में वे ऐसा नहीं कर पाएंगे क्योंकि देश के लगभग 90 फीसदी बैंक खातों में जमा रकम एक लाख रुपए से कम है।

असल में डिपॉजिट बीमा की जिम्मेदारी संभालनेवाली संस्था निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक बैंकों के जमा खातों में 93 फीसदी हिस्सा एक लाख रुपए से कम राशि वाला है। उन्होंने पिछले साल नवंबर में ऐसा तब कहा था जब इस संवाददाता ने उनसे पूछा था कि सरकार डिपॉजिट बीमा का कवर एक लाख रुपए से बढ़ा क्यों नहीं रही है। इसके अलावा इसी साल 18 जनवरी को एक समारोह में रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने भी अपने लिखित भाषण में कहा था कि हमारे यहां करीब-करीब 90 फीसदी जमा खाते पूरी तरह बीमा कवर में आते हैं।

एनसीडी में न्यूनतम निवेश 5 लाख हो जाने का साफ मतलब होगा कि केवल 10 फीसदी लोग भी इसमें निवेश कर पाएंगे; और, 10 लोगों को तो आम निवेशक नहीं कहा जा सकता। हालांकि रिजर्व बैंक ने एक साल तक के एनसीडी पर दिशानिर्देशों का ड्राफ्ट 3 नवंबर 2009 को ही सार्वजनिक बहस के लिए पेश कर दिया था और तमाम प्रतिक्रियाओं पर विचार करने के बाद इन दिशानिर्देशों को अंतिम रूप दिया गया है। लेकिन न्यूनतम निवेश की सीमा ने अपने आप ही आम आदमी के लिए एनसीडी के प्राइवेट प्लेसमेंट के दरवाजे बंद कर दिए हैं। बता दें कि एनसीडी पर कंपनियां बैंक के एफडी से काफी ज्यादा ब्याज देती हैं और अच्छी क्रेडिट रेटिंग हो तो इनमें निवेश करना सुरक्षित भी रहता है।

कंपनियां, बैंक या एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां) तक एनसीडी से रकम जुटाती रही हैं और आगे भी जुटाती रहेंगी। इसमें रिजर्व बैंक की शर्त बस यही है कि उनकी नेटवर्थ (इक्विटी व रिजर्व का जोड़) 4 करोड़ रुपए से ज्यादा होना चाहिए। हर एनसीडी इश्यू की क्रेडिट रेटिंग सेबी में पंजीकृत एजेंसी के करानी जरूरी है। यह क्रेडिट रेटिंग कम से कम क्रिसिल की पी-2 रेटिंग के समकक्ष होनी चाहिए।

रिजर्व बैंक ने नए दिशानिर्देशों में यह भी तय किया है कि एनसीडी की परिपक्वता अवधि 90 दिन से कम नहीं होनी चाहिए। अगर डिबेंचर ज्यादा अवधि का है और कंपनी उसका भुगतान पहले करना चाहती है तो 90 दिन पहले से पहले वह ऐसा नहीं कर सकती है। ये डिबेंचर मूलधन व ब्याज वाले हो सकते हैं और जीरो कूपन बांड जैसे भी हो सकते हैं जिनमें डिबेंचर का परिपक्वता मूल्य तय होता है और निवेशक को वे कम मूल्य पर बेचे जाते हैं। जैसे, 5 लाख का एनसीडी 4.5 लाख रुपए में बेचा जा सकता है। इस तरह 4.5 लाख रुपए लगाने पर निवेशक को साल भर में 11.11 फीसदी का फायदा हो जाएगा।

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