निर्यात की तेजी पर अचानक लगाम, दो सालों में रफ्तार रही सबसे धीमी

पता नहीं कि यह निर्यात के आंकड़ों की अप्रत्याशित तेजी पर उठे संदेह का नतीजा है या यूरोपीय देशों में छाए संकट का परिणाम, लेकिन ताजा सूचना यह है कि अक्टूबर महीने में देश से हुआ निर्यात साल भर पहले से मात्र 10.8 फीसदी बढ़ा है। यह दो सालों के दौरान निर्यात में हुई सबसे कम वृद्धि दर है। इससे पहले अक्टूबर 2009 में हमारा निर्यात 6.6 फीसदी घट गया था। लेकिन उसके बाद से हर महीने बढ़ रहा था। चालू वित्त वर्ष 2011-12 में तो जुलाई में हमारा निर्यात 82 फीसदी, अगस्त में 44.25 फीसदी और सितंबर में 36.36 फीसदी बढ़ा था।

मंगलवार को वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने विदेश व्यापार के अनंतिम आंकड़ों के आधार पर संवाददाताओं को बताया कि अक्तूबर के दौरान भारत से निर्यात 10.8 फीसदी बढ़कर 19.9 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 21.7 फीसदी बढ़कर 39.5 अरब डॉलर हो गया। इस तरह अक्टूबर में व्यापार घाटा 19.6 अरब डॉलर रहा है। यह पिछले चार सालों के दौरान किसी भी महीने में हुआ सबसे ज्यादा व्यापार घाटा है।

वैसे, अप्रैल से अक्तूबर तक के सात महीनों की बात करें तो इस दौरान देश का निर्यात साल भर पहले की समान अवधि की बनिस्बत 46 फीसदी ज्यादा, 179.8 अरब डॉलर है। इस दौरान आयात 273.5 अरब डॉलर डॉलर का रहा जो 31 फीसदी ज्यादा है। इस तरह चालू वित्त वर्ष 2011-12 के पहले सात महीनों में देश का व्यापार घाटा 93.7 अरब डॉलर रहा है।

इन आंकडों का ब्योरा देते हुए वाणिज्य सचिव खुल्लर ने सतर्क किया कि अगले छह महानों में स्थिति बहुत सुखद नहीं रहनेवाली। उनका कहना था कि खासतौर पर व्यापार घाटा काफी चिंता का विषय है। अगर यह इसी तरह बढ़ता रहा तो 2011-12 के लिए निर्धारित 150 अरब डॉलर की सीमा को अंततः तोड़ डालेगा।

खुल्लर का कहना था कि उन सेक्टरों के निर्यात को विशेष चोट पहुंची है जिनकी ज्यादा निर्भरता यूरोपीय बाजार पर है। इलेक्ट्रॉनिक्स सामग्रियों का बड़ा हिस्सा यूरोप को जाता है। इनका निर्यात अक्टूबर में 18 फीसदी घट गया है। वाणिज्य सचिव ने कहा कि साफ है कि किन बाजारों के चलते हमारे निर्यात के बढ़ने में धीमापन आया है।

अप्रैल से अक्तूबर के दौरान इंजीनियरिंग निर्यात 89.6 फीसदी बढ़कर 51.4 अरब डॉलर और पेट्रोलियम व तेल उत्पादों का निर्यात 51 फीसदी बढ़कर 31.9 अरब डॉलर हो गया। दूसरी तरफ इन्हीं सात महीनों में पेट्रोलियम पदार्थों का आयात 41 फीसदी बढ़कर 81.9 अरब डॉलर और सोना-चांदी का आयात 64 फीसदी बढ़कर 38.3 अरब डॉलर हो गया।

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