पेट्रोलियम का दम, नवंबर तक निर्यात 33.2% बढ़ा

नवंबर महीने में देश का निर्यात साल भर पहले की तुलना में 17.99 फीसदी बढ़ा है। इस साल नवंबर में हमारा निर्यात 22.3 अरब डॉलर रहा है, जबकि नवंबर 2010 में यह 18.9 अरब डॉलर रहा था। लेकिन चालू वित्त वर्ष 2011-12 के पहले छह महीनों की तेज रफ्तार के कारण अप्रैल से नवंबर तक के आठ महीनों में निर्यात की वृद्धि दर 33.2 फीसदी रही है। इस निर्यात वृद्धि में मुख्य योगदान पेट्रोलियम पदार्थों का रहा है जिनका निर्यात इस दौरान 62.3 फीसदी बढ़कर 39.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया।

हमारे वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर की आदत है कि वे विदेश व्यापार के आंकड़ों की औपचारिक घोषणा से पहले ही मीडिया के सामने आंकड़े रख देते हैं। शुक्रवार को उन्होंने राजधानी दिल्ली में संवाददाताओं को बताया कि देश का निर्यात वित्त वर्ष 2011-12 में अप्रैल-नवंबर के दौरान 192.7 अरब डॉलर रहा। यह पिछले साल की समान अवधि में हुए निर्यात से 33.2 फीसदी ज्यादा है। वैसे, यह वृद्धि दर पिछले साल के वास्तविक आंकड़ों से मेल नहीं खाती क्योंकि वाणिज्य मंत्रालय के ही अनुसार अप्रैल से नवंबर 2010 के दौरान देश का निर्यात 140.29 अरब डॉलर रहा था। इस हिसाब से वृद्धि दर का आंकड़ा 37.36 फीसदी का होना चाहिए था।

खैर, वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने कहा कि निर्यात में वृद्धि दर अभी अच्छी है। लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि तकनीकी खामियों की वजह निर्यात के आंकड़े अभी तक गलत मिल रहे थे। छानबीन से पता चला है कि कुल निर्यात में 9 अरब डॉलर की ज्यादा बढ़ोतरी दिखाई जा रही थी। इसके चलते व्यापार घाटा भी 9 अरब डॉलर कम दिखाया जा रहा था। आंकड़े सही किए जाने के बाद अप्रैल-नवंबर के बीच व्यापार घाटा अब 116.8 अरब डॉलर हो गया है।

नवंबर महीने में हमारा आयात 35.9 अरब डॉलर रहा है। इसमें से 22.3 अरब डॉलर के निर्यात को कम कर देने के बाद हमारा व्यापार घाटा 13.6 अरब डॉलर निकलता है। अप्रैल से नवंबर 2011 के दौरान हमारा आयात 30.2 फीसदी बढ़कर 309.5 अरब डॉलर रहा और इसमें से 192.7 अरब डॉलर के निर्यात को हटा देने पर हमारा व्यापार घाटा 116.8 अरब डॉलर निकलता है।

खुल्लर ने जो आंकड़े पेश किए हैं, उनमें एक और चौंकानेवाली बात है। अप्रैल से नवंबर 2011 के दौरान देश से सबसे ज्यादा 62.3 फीसदी निर्यात पेट्रोलियम व तेल उत्पादों (पीओएल) का बढ़ा है। हमने 39.5 अरब डॉलर के पीओएल निर्यात किए। लेकिन इसी दौरान देश के आयात में सबसे ज्यादा 42.7 फीसदी वृद्धि भी पीओएल में ही हुई है। हमने इस दौरान 94.1 अरब डॉलर के पेट्रोलियम व तेल उत्पाद आयात किए।

सवाल उठता है कि जब देश में पेट्रोलियम तेल की 78 फीसदी जरूरत आयात से पूरी की जाती है और जिसके लिए हमें अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम व रुपए के अवमूल्यन के कारण ज्यादा भुगतान करना पड़ रहा है, वही उत्पाद हम देश से बाहर क्यों भेज रहे हैं? सोचिए, अगर हमने देश से पीओएल का निर्यात नहीं किया होता तो हमारा तेल आयात बिल 94.1 अरब डॉलर से 39.5 अरब डॉलर यानी 42 फीसदी कम 54.6 अरब डॉलर ही रहा होता।

1 Comment

  1. excellent answer, me bi wahi kehne wala tha, mgr aap ka coloum padke sakun mila, aap ko desh ka adviser hona chahiye, rahul khular ki jaga, aap bahut acha likkte he, mgr aap ki baat govt, tak yani minister tak pahoj jaye to acha ho ga. i like it.

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