इतिहास के डिग्रीधारी शक्तिकांत दास 11 दिसंबर 2018 को जब से भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर बने हैं, तब से उन्होंने दो खास काम कर डाले। एक, उन्होंने रिजर्व बैंक की स्वायत्तता खत्म तक उसे केंद्र सरकार का दास बना दिया। दो, पहले मौद्रिक नीति अमूमन मंगलवार को आती थी, अब शुक्रवार को आने लगी है। उन्हें मौद्रिक नीति को संभालना कितना आता है, इसका अंदाज़ा इसी से लगा सकते हैं कि सात बार से उन्होंने ब्याजऔरऔर भी

ट्रेडर का दिमाग जितना शांत व खुला रहेगा, वह उतना ही बारीकी से सामनेवालों के स्वभाव व बर्ताव का पैटर्न देख पाएगा। किस तरह के ट्रेडर सुबह भाव खोलते हैं और कौन-से ट्रेडर शाम को बंद करते हैं, बीच में दोपहर के समय लंच के दौरान कैसे ट्रेडर चांदी काटते हैं, डे-ट्रेडरों की क्या भूमिका है, देशी-विदेशी संस्थागत निवेशकों की क्या सक्रियता है – ऐसे बहुतेरे तथ्यों पर हमें पैनी नज़र रखनी होती है। देखना पड़ता हैऔरऔर भी

शेयर बाज़ार की ट्रेडिंग लाखों लोगों का खेल है। इसलिए इसमें धूर्तता या चालाकियां नहीं चलती। यह दरअसल दिमागदार योद्धाओं का दैनिक संग्राम है। यहां सबसे तेज़ कंप्यूटर, सबसे तेज़ इंटरनेट कनेक्शन या सबसे तेज़ी से रिफ्रेश होनेवाले ब्रोकर टर्मिनल से कमाई नहीं होती। यहां ट्रेडर की कमाई इस बात से होती है कि वह कितनी ज्यादा से ज्यादा काम की सूचनाओं की कितनी तेज़ी से प्रोसेस कर न्यूनतम रिस्क में अधिकतम लाभ के ट्रेड में घुसताऔरऔर भी

कभी सुनी-सुनाई या बताई बातों पर मत जाइए। वॉट्सअप संदेश और सोशल मीडिया पर कतई यकीन न करें क्योंकि वहां निहित स्वार्थी तत्व अफवाहें व झूठी खबरे ही फैलाते हैं। देखिए कि आपका ट्रेडिंग टर्मिनल क्या कह रहा है। ट्रेडिंग टर्मिनल कभी झूठ नहीं बोलता, न बोल सकता है। लम्बे समय का निवेश यकीनन कंपनी की ताकत, प्रतिस्पर्धा की स्थिति और उसके बिजनेस की संभावना जानने की मांग करता है। लेकिन छोटे समय की ट्रेडिंग में मानवऔरऔर भी

हमें बाज़ार का हर भेद समझने की कोशिश में लगे रहना चाहिए। बाज़ार बढ़ा है, यह तथ्य तो सबकी आंखों के सामने है। लेकिन वह नई खरीद के दम पर बढ़ा है या पहले बेचे गए शेयरों की खरीद (शॉर्ट कवरिंग) की मजबूरी के चलते, यह हकीकत सभी को पता नहीं होती। वोल्यूम बढ़ने के साथ शेयर के भाव गिर रहे हों तो साफ है कि शॉर्ट कवरिंग चल रही है। कम वोल्यूम में शेयर चढ़ रहाऔरऔर भी