शेयर बाज़ार तर्क पर नहीं, भावनाओं व संभावनाओं पर चलता है। जिसे हम तर्क समझते हैं, उसका असर तो बाज़ार चुटकियों में जज़्ब कर चुका होता है। हम उसे अपनाएं, तब तक वह उस्तादों की उंगलियों से गुजरकर टखने तक पहुंच चुका होता। लंबे समय बाद बनी लम्बी ग्रीन कैंडल देखर हमें लगता है कि अब तो खरीद आएगी और शेयर पक्का बढ़ेगा। लेकिन अगले ही दिन वह धसक जाता है। वैसे, तर्क का तथ्य अगर बाज़ारऔरऔर भी

ज़ोमैटो को पिछले तीन साल से लगातार करोड़ों का घाटा हो रहा है। लेकिन 15 दिन पहले उसका आईपीओ 76 रुपए पर आया तो 38.25 गुना सब्सक्राइब हुआ। लिस्टिंग लगभग 182% ऊपर 138 रुपए पर हुई और अब भी ज्यादा टूटा नहीं है। लेकिन दुनिया के स्तर पर देखें तो फूड डिलीवरी से लेकर जगह किराए पर देने या टैक्सी सेवा देनेवाली कंपनियों ने लिस्टिंग पर भले ही कमाल दिखाया हो, बाद में चमक फीकी पड़ गई।औरऔर भी