वित्त मंत्री चिदंबरम आज लोकसभा में 11 बजे आनेवाले वित्त वर्ष 2014-15 का अंतरिम बजट पेश करेंगे। इसमें वे प्रत्यक्ष या परोक्ष टैक्स की दरों में कोई फेरबदल नहीं कर सकते क्योंकि कानून इसकी इजाज़त नहीं देता। पर आम चुनावों के मद्देनज़र बड़ी-बड़ी बातें जरूर कर सकते हैं। बाज़ार की नज़र इस पर रहगी कि वे राजकोषीय घाटे को 4.8% की सीमा में बांध सके या नहीं और हां तो कैसे। अब करते हैं हफ्ते का आगाज़…औरऔर भी

शेयरों में निवेश से जो लोग पैसा बनाते हैं और जो नहीं बना पाते, उनमें सबसे बड़ा अंतर यह नहीं कि पहला हर वक्त सही शेयरों को चुनता है और दूसरा नहीं। अंतर पड़ता है इससे कि आप अपना निवेश विभिन्न स्तर की कंपनियों में कैसे बांटते हैं। समयसिद्ध नियम है कि निवेशयोग्य धन का 50-60% लार्जकैप, 25-30% मिडकैप और 5-10% स्मॉलकैप स्टॉक्स में लगाएं तो घाटे में कभी नहीं रहेंगे। आज तथास्तु में एक स्मॉलकैप स्टॉक…औरऔर भी

कभी आपने सोचा है कि ज़रा-सा होश संभालते ही हम धन के चक्कर में घनचक्कर क्यों बन जाते हैं? और, यह धन आखिरकार आता कहां से है, इसका स्रोत, इसका उत्स क्या है? हम ट्रेडिंग भी तो इसीलिए करते हैं कि खटाखट धन आ जाए! निवेश भी इसीलिए करते हैं कि हमारा जितना धन है, वह बराबर बढ़ता रहे। आइए, आज हम धन के चक्कर में घनचक्कर बनने और धन-चक्र को समझने की कोशिश करते हैं। पहलेऔरऔर भी

बाज़ार गिरता है ज्यादा बिकवाली से और बढ़ता है ज्यादा खरीदारी से। आमतौर पर बिकवाली या खरीदारी का रुख देश-विदेश की ताज़ा आर्थिक स्थिति और भावी संभावना से तय होता है। बुधवार को जब आंकड़े आए कि देश में रिटेल मुद्रास्फीति जनवरी में उम्मीद से ज्यादा घटकर दो सालों के न्यूनतम स्तर पर आ गई तो माना गया कि बाज़ार बढ़ेगा। लेकिन वो गिर गया। आज थोक मुद्रास्फीति के आंकड़े आने हैं। देखिए, कैसा रहता है बाज़ार…औरऔर भी

शेयर बाज़ार एक जैसी जगह है कि जहां लंबा/लांग होने से कहीं ज्यादा फायदा छोटा/शॉर्ट होने में है। दरअसल, शॉर्ट सौदे केवल फ्यूचर्स और ऑप्शंस सेगमेंट में शामिल शेयरों में किए जा सकते हैं और वहां लीवरेज़ काफी ज्यादा होता है। कम पूंजी में बड़े सौदे और बड़ा मुनाफा। शेयर एक दिन में 2% गिरा तो आप 20% तक कमा सकते हैं। लेकिन सीधा-सा नियम है कि रिवॉर्ड ज्यादा तो रिस्क भी ज्यादा। अब गुरुवार की बौद्ध-ट्रेडिंग…औरऔर भी