हमारे या आप जैसे लोगों की औकात नहीं कि बाज़ार तो छोड़िए किसी अदने से स्टॉक की चाल बदल सकें। हमारी मांग से बाज़ार का बाल भी बांका नहीं होता। इसलिए जब हम मांग-सप्लाई की बात करते हैं तो उसका सीधा-सा मतलब होता है बैंक, बीमा, म्यूचुअल फंडों, एफआईआई और बड़े ब्रोकरेज़ हाउसों की मांग जो हर दिन लाखों नहीं, करोड़ो में खेलते हैं। उनकी चाल को पहले से भांपना असली चुनौती है। अब अभ्यास शुक्रवार का…औरऔर भी

शेयरो की ट्रेडिंग में कामयाबी के लिए तीन चीजों की जानकारी बेहद जरूरी है। पहली यह कि बाज़ार में कौन-कौन से खिलाड़ी सक्रिय हैं और उनकी हैसियत क्या है। दूसरी यह कि भावों की चाल क्या कहती है। हमें भावों की दशा-दिशा को चार्ट पर पढने की भाषा आनी चाहिए। तीसरी और अंतिम जानकारी यह कि ठीक इस वक्त किसी स्टॉक में मांग-सप्लाई का संतुलन क्या है। इन तीनों पर महारत आवश्यक है। अब आज का व्यवहार…औरऔर भी

जो लोग ट्रेडिंग से कमाई के लिए किसी जादुई मंत्र/सूत्र की तलाश में लगे हैं, वे भयंकर गफलत के शिकार है। रेगिस्तान में मरीचिका के पीछे भागते प्यासे हिरण जैसी उनकी हालत है। सारी दुनिया का अनुभव बताता है कि ऐसा कोई जादुई मंत्र नहीं है। बड़े-बड़े कामयाब ट्रेडर यह बात कह चुके हैं। यहां संभावना या प्रायिकता काम करती है। रिस्क/रिवॉर्ड का अनुपात देखकर लोग स्टॉप लॉस व लक्ष्य तय करते हैं। अब मंगल का बाज़ार…औरऔर भी

मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है। हाथ लगाओ, डर जाएगी। बाहर निकालो, मर जाएगी। बचपन में सुनी-बोली गई ये पंक्तियां आपको याद होंगी। ट्रेडिंग में कमाई हमारे हाथ से ऐसे ही छटकती रहती है। दुनिया भर में बहुतेरे लोगबाग तो इससे कमा ही रहे हैं! फिर आखिर हम ही क्यों चूक रहे हैं? कहां हो रही है हमसे भूल-गलती? कौन-से गुर हमारे पास नहीं हैं? सोचिएगा तो मिल जाएगा जबाव। अब हफ्ते का आगाज़…औरऔर भी

इस देश में अजब-गजब हाल है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे पूरे बैंकिंग क्षेत्र ने सबसे बड़ी कंपनियों को जितना ऋण दे रखा है वो लगभग उनकी नेटवर्थ के बराबर है। दूसरे शब्दों में इन शीर्षस्थ कंपनियों ने खुदा-न-खास्ता किसी वजह से अपने ऋण न चुकाए तो हमारी बैंकिंग का भट्ठा बैठ सकता है। इसलिए बड़ों के नाम से ही डर लगने लगता है। कुछ ऐसी ही सोच-विचार के बीच आज तथास्तु में एक स्मॉल-कैप कंपनी…औरऔर भी