दिल्ली की कंपनी है एक्शन कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट। क्रेन, लोडर व बुलडोजर टाइप उपकरण बनाती है। रेलवे, डिफेंस और कंस्ट्रक्शन व इंफ्रास्ट्रक्चर उद्योग में इसका माल खपता है। देश में मोबाइल क्रेन का आधे से ज्यादा बाज़ार इसके पास है। शेयर सस्ता दिखता है। लेकिन कल ही आए कंपनी के नतीजे अच्छे नहीं रहे। स्मॉल कैप कंपनी है। खुद रिसर्च करके देखें कि इसमें निवेश करना चाहिए कि नहीं। हम आज दो लार्ज कैप कंपनियां लेकर आए हैं।औरऔर भी

कुछ चीजें लगभग नहीं, एकदम-एकदम अंसभव होती हैं। लेकिन हमेशा जीतने की इच्छा और जिजीविषा इंसान को अक्सर यह मानने पर मजबूर कर देती है कि जो वो चाहता है, वही होगा। नहीं होता तो हम किस्मत से लेकर अपने आसपास के लोगों पर दोष मढ़ने लगते हैं। मैं भी इस बार यही कर रहा हूं। इधऱ-उधर की भागमभाग और उन चार गुरुओ को दोष दे रहा हूं जिनसे मैं हाल-फिलहाल ट्रेडिंग के हुनर सीख रहा हूं।औरऔर भी

परसों कहा गया कि एलएंडटी का 6.45% गिरना अपने साथ शेयर बाज़ार को डुबा ले गया। कल यह तोहमत उसके साथ ही साथ एसबीआई पर भी लग गई क्योंकि एलएंडटी के शेयर 6.49% और गिरे, वहीं एसबीआई को 7.96% का सदमा लगा। निफ्टी में एलएंडटी का भार 4.05% और एसबीआई का भार 2.93% है। पर असल में यह झलक है कि सस्ते धन का प्रवाह रुकने से बुलबुला कैसे पिचक सकता है। बाज़ार अब घबराने लगा है।…औरऔर भी

न्यूनतम रिस्क, अधिकतम रिटर्न। हर कोई यही चाहता है। यह चाह पूरी की जा सकती है, बशर्ते हम भरपूर नाप-जोख कर लें। बाज़ार में भगवान तो ट्रेडिंग करता नहीं। जो भी करते हैं इंसान ही करते हैं। अल्गो ट्रेडिंग की डोर इंसान ही संभालता है। कुछ इंसान बाज़ार का रुख तय करते हैं, जबकि ज्यादातर इंसान इस रुख में बहते हैं। हमें इन्हीं कुछ इंसानों की चाल को पकड़ने का हुनर सीखना है। रुख करें बाज़ार का…औरऔर भी

चीज़ कितनी भी अच्छी या काम की हो, बाज़ार में उसे भाव तभी मिलता है जब लोगों की निगाह में वो चढ़ जाती है। शेयरों के साथ भी यही होता है। लेकिन लोकतंत्र में जिस तरह मतदान गुप्त रखा जाता है, उसी तरह यहां कौन-कौन खरीद-बेच रहा है, यह जाहिर नहीं होता। संस्थागत निवेशकों का रुख पता चल जाए तो ट्रेडरों की किस्मत खुल जाती है। यह मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं। पकड़ते हैं आज की दशा-दिशा…औरऔर भी