शेयर बाज़ार में निवेश करना मुश्किल नहीं। अच्छी कंपनी चुनो और धन लगाकर निश्चिंत हो जाओ। पर सफल ट्रेडर बनना हर किसी के बूते की बात नहीं। इसके लिए जोखिम उठाने की कुव्वत, अनुशासन और गिनती में पक्का होना जरूरी है। सिगरेट जैसी लत न छोड़ पाने वाला, हर दमड़ी को दांत से दबाने वाला या सरल गुणा-भाग में चकराने वाला शख्स कभी भी अच्छा ट्रेडर नहीं बन सकता। सोच लें आप। हम बना लें आज की रणनीति…औरऔर भी

यह डर और अंधकार का दौर है। यहां बिंदास वही रह सकता है जो सारा कुछ नहीं तो बहुत कुछ जानता है या भयंकर मूर्ख है। जब हर तरफ बीमारी, असहिष्णुता, भ्रष्टाचार, हिंसा और अन्याय का बोलबाला है तो कोई सहज जीवन कैसे जी सकता है? हर ऊपरी परत निचली परत को अंधेरे में रखती है। सुखद यह है कि लोग अब अज्ञान की इस चादर को चिंदी-चिंदी करने लगे हैं। खैर! बनाते हैं आज की ट्रेडिंगऔरऔर भी

शेयर बाज़ार में निवेश करें तो किसी शेयर में नहीं, बल्कि बिजनेस में निवेश करें। उद्योग चुनें। उस उद्योग की खास कंपनी को चुनें। समझें कि उस उद्योग और उस कंपनी का भावी कैश फ्लो कैसा रहेगा। धंधे के साथ शुद्ध लाभ किस रफ्तार से बढ़ेगा। इतना आंक लेने के बाद ही उस कंपनी के शेयर में धन लगाएं। वह भी तब तक के लिए, जब तक वो कंपनी है। आज पेश है ऐसी ही एक पुख्ताऔरऔर भी

स्वार्थों का जमावड़ा है बाज़ार। तगड़ी मारामारी। किस्मत नहीं, अक्ल का खेल चलता है। जिसमें जितना हुनर, जितनी बुद्धि, जितनी जानकारी, जितनी सावधानी, वह उतना ही कामयाब। लेकिन किताबी ज्ञान भी नहीं चलता। मने बद्धू आवड़ेछे (एमबीए) का गुरूर नहीं चलता। समझ व्यावहारिक होनी चाहिए। बहुत से एमबीए यहां फेल हो जाते हैं। एक बात मन में कहीं गहरे बिठा लें कि पैसा बनाने का कोई शॉर्टकट नहीं है। पैसा या धन समाज की तरफ से सदियोंऔरऔर भी

महीने का आखिरी गुरुवार। डेरिवेटिव सौदों के सेटलमेंट का दिन। यह भारतीय शेयर बाज़ार में ऑपरेटरों का दिन होता है। वे घात लगाकर शिकार करते हैं। शिकार एकदम नज़दीक आ जाए। उसे कोई खटका न लगे। जब वो पूरी तरह निश्चिंत हो जाए तो हमला करके उसे चिंदी-चिंदी कर दो। सालों-साल से यही होता आया है। कल भी यही हुआ। बाज़ार बंद होने के 45 मिनट पहले खेल शुरू हुआ और देखते ही देखते सारा सीन बदलऔरऔर भी